राजधानी लखनऊ से है जहां 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले को लेकर 75 दिनों से आरक्षित वर्ग के शिक्षक अभ्यर्थियों द्वारा धरना दिया जा रहा है। अब इन शिक्षक अभ्यर्थियों ने 6 सितंबर को महा आंदोलन के तहत विधानसभा घेराव का ऐलान कर गेंद उ०प्र० सरकार के पाले में डाल दी है। अब देखने वाली बात यह होगी की उत्तर प्रदेश सरकार अभ्यर्थियों के महा आंदोलन को रोकने के लिए क्या कदम उठाती है। और देखने वाली बात यह भी होगी कि सरकार क्या इस आरक्षण घोटाले की जांच करा कर दोषियों को दंडित करने के साथ-साथ इन पीड़ित शिक्षक अभ्यर्थियों को न्याय देती है या फिर 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण सीटों के साथ छेड़छाड़ करने वाले अपने कारिन्दों के साथ खड़ी होती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा। किंतु 2022 के चुनाव को देखते हुए यह कयास लगाए जा रहे हैं की उत्तर प्रदेश सरकार 5 सितंबर यानी शिक्षक दिवस के दिन इस मामले में बड़ा फैसला ले सकती है। वही इन शिक्षक अभ्यर्थियों की माने तो गेंद अब सरकार के पाले में है, निर्णय सरकार को लेना है, वह पिछड़ो एवं दलितों के अधिकार को लौटाती है तो ठीक है अन्यथा 6 सितंबर का दिन इतिहास के पन्नों में लिखा जाएगा।आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद 3 दिनों तक शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ धरने पर बैठे रहे और उनके दुख दर्द को महसूस किया। इसके बाद भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने उत्तर प्रदेश सरकार को 5 सितंबर तक का समय देते हुए 6 सितंबर को महा आंदोलन का ऐलान कर दिया। भीम आर्मी का साथ मिलने के बाद अब शिक्षक अभ्यर्थियों के महा आंदोलन को विपक्षी दलों सहित विभिन्न संगठनों का खुला समर्थन मिलना शुरू हो गया है।
