खबर दृष्टिकोण:अनुराग मिश्रा
गोला गोकर्णनाथ खीरी।
दक्षिणी खीरी वन प्रभाग की वनरेंज मोहम्मदी की आंवला व बिलहरी बीट वन्यजीवों को काफी रास आरही है। दोनों बीटो के गांवों अजान,इमलिया,घरथनिया ,मूडाजवाहर,मूड़ा अस्सी ,देउरिया, पकरिया सहित करीब दर्जन भर गांवों में दहशत फैलाने वाले बाघ- बाघिन के जोड़े में से बाघिन भले ही अपने एक शावक के साथ वनविभाग की गिरफ्त में आगई हो लेकिन सच्चाई यह है कि किसानों पर हमला करने वाला बाघ अभी भी इसी क्षेत्र में पुनः वापस लौट आया है।मूड़ा जबाहर निवासी रामप्रसाद के गन्ने के खेत में सोमवार सुबह ग्रामीणों ने वन्यजीव के पैरों के निशान देख भयभीत हो गये।ग्रामीणों ने जिसकी सूचना वनविभाग को दी है।बताते चलें पूर्व में बाघ व बाघिन के पगचिह्न अलग-अलग कई स्थानों पर भी देखे गए थे।बाघिन गर्भावस्था में थी तभी पिछले रेस्क्यू ऑपरेशन में शायद कई बार डॉक्टरों से आमना -सामना होने के बाद भी बाघिन को ट्रिकुलाइज नही किया गया था।यह बात वनविभाग मीडिया व ग्रामीणों से छिपाए रहा।बाघिन को पकड़ने का अभियान पिछले बर्ष सितंबर माह से शुरू किया गया था जो विन कामयाबी के ही बीच में रोकना पड़ा था।इसके बाद 12 अप्रैल को मूड़ा जबाहर निवासी खेत गए किसान मुन्नालाल पर हुए हमले के बाद ग्रामीणों के जनाक्रोश को देख गोला विधायक अमन गिरी व ग्रामप्रधानों ने जिला वनअधिकारी संजय विश्वाल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर बाघिन को पकड़वाने का आग्रह किया था।रेस्क्यू टीम ने इमलिया गांव के बाहर सराय नदी के किनारे दो शावकों सहित बाघिन को पकड़ने के कई इंतजाम किये जिसमें कैमरे में बाघिन के साथ दो शावकों की फोटो आयी पर मीडिया से सारी बातें छिपाई गईं। अंततः एक शावक व बाघिन को वन विभाग ने पकड़ा और उसे दूसरे जंगल में छोड़ा गया।किन्तु इसी इलाके में काफी समय से रह रहे बाघ ने अलग-अलग स्थान पर न केवल अपनी उपस्थिति दर्ज कराई बल्कि जंगली जानवरों का शिकार भी किया था। बेहद चालक यह बाघ लगातार आपना ठिकाना बदलता रहता है।जो बाघिन के रेस्क्यू के समय छिप गया और अब पुनः लौट आया है।
आबादी क्षेत्र में बाघों के आने का मुख्य कारण
इंसानों का जंगल में दखल तो नहीं?
कुछ स्वार्थी इंसानो ने अपने निजी स्वार्थ के लिए पूरे समाज के लिए खतरा उत्पन्न कर दिया है ,जंगल से पेड़ों को काटने के अलावा शाकाहारी जंगली जीवों का शिकार कर उनकी वंश वृद्धि पर भी विराम लगा दिया जिससे मांसाहारी वन्यजीवों के भोजन का बड़ा संकट मंडराने लगा था ,शायद अपने जीवन को सुरक्षित रखने के लिए खूंखार वन्यजीवों ने जंगलों से निकलकर इंसानी बस्तियों की तरफ रुख किया है,जहां उनको शिकार के लिए छुट्टा पशु व वन्यजीव आसानी से मिल जाते हैं।दूसरा सबसे बड़ा कारण पानी का भी है, जंगलों में नहरे ,तालाब, नदियों में पानी लगभग सूख ही जाता है जिससे पीने के पानी की भी बहुत बडी समस्या प्रमुख है।
क्या कहते हैं मोहम्मदी रेंजर निर्भय प्रताप शाही
“पग चिन्हों की सूचना मिली है, वनविभाग की टीम गई थी ,ग्रामीणों को सचेत किया गया है कि खेतों को जाते समय सावधानी बरतें।वन्यजीव संरक्षण के बजह से जीवों की संख्या बढ़ी है, इस लिए यदि एक जायेगा तो दूसरे की आने की प्रबल संभावना रहती है।यही वन्य प्राणियों की रहने की शैली है।विभाग द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि यह वापस लौट जाए।”
