ख़बर दृष्टिकोण लखनऊ।
मोहनलालगंज।मोहनलालगंज कस्बे में मरीजों को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से स्वास्थ्य लाभ दिलाने के उद्देश्य से खोला गया राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय केवल कागजी खानापूरी में 25 सैया वाला अस्पताल है। लेकिन इस सरकारी चिकित्सालय में मरीज को भर्ती करने अथवा कुछ देर भी रोकने की व्यवस्था तक नही है। चिकित्सालय में पिछले 10 वर्षों से तैनात महिला डॉक्टर का मरीजों व तीमारदारों के प्रति व्यवहार ठीक नहीं है जिसकी शिकायत प्रदेश की उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक तथा जिला स्तरीय अधिकारियों से की गई है।
मोहनलालगंज कस्बे में हाईवे के किनारे एक निजी अस्पताल के बगल में खुले राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय की महिला डॉक्टर द्वारा मरीजों और उनके तीमारदारों के साथ किया जा रहे अभद्र व्यवहार के सन्दर्भ में स्थानीय लोगों का आरोप है कि कागजों पर चल रहे 25 बेड वाले इस राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में सामान्य बीमारी की भी दवाएं तक उपलब्ध नहीं ,मरीजों के विरोध जताने पर यहां की प्रभारी महिला डाक्टर मरीजों से अभद्रता पर उतारू हो जाती है। मोहनलालगंज कस्बे के समाजसेवी के जी मिश्रा ने प्रदेश की उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक तथा जिला स्तरीय मुख्य चिकित्सा अधिकारी से शिकायत करते हुए कहा कि गुरुवार की सुबह कस्बे के आयुर्वेदिक चिकित्सालय में दवा लेने के लिए गए तो वहां पर पहले से कई मरीज मौजूद थे।जब उन्होंने अपना पर्चा बनवाना चाहा तो वहां अंदर तेज आवाज के साथ एक महिला ने जोर जोर से चीखना शुरू कर दिया। और बाहर निकलकर उसने मौजूद मरीजों को अस्पताल से बाहर निकलने को कहने लगी। इस पर कुछ लोगो ने विरोध जताया तो चीखने वाली महिला बिफर गई और मरीज देखने से ही मना कर दिया। डॉक्टर के इस अप्रत्याशित व्यवहार से सिसेंडी के रहने वाले नसीम भी बिना दवाई लिए वहां से बैरंग लौट आए और फिर बाहर आकर निजी अस्पताल जाकर डाक्टर को दिखा दवाएं ली।
धूल फांक रहे हैं अस्पताल के बेड और फर्नीचर…..
पच्चीस शैय्या वाले राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में बेड और फर्नीचर अस्पताल के बंद पड़े कमरे में धूल फांक रहे है। ग्रामीणों का आरोप है कि इस चिकित्सालय में शासनादेश की विपरीत पिछले 10 वर्षों से तैनात महिला डाक्टर अपने को विभागीय मंत्री का करीबी बताकर चिकित्सालय आने वाले लोगो पर अपना रौब झाड़ती है।