लखनऊ, एक ओर कोरोना महामारी की मार ने क्या आम और क्या खास सभी को अपनी चपेट में ले लिया वहीं देश के गरीब आम नागरिक की तकलीफों का तो अंत ही नहीं हो रहा है। कोरोना संकट ने उसके रोजगार धंधों को चौपट कर दिया और वह दो वक्त की रोटी का भी मोहताज हो गया। इस स्थिति में जब उसकी कमाई के साधन बंद हो रहे हैं तब आसमान छूती मंहगाई ने उसके सामने जीने का संकट खड़ा कर दिया है। चढ़ती महंगाई को लेकर अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति उप्र ने परिवर्तन चौक से जुलूस निकाला।महिलाओं का कहना था कि सरसों का तेल 150 से 200 रुपये लीटर, दालें 100 से 150 रुपये किलो और आलू प्याज जैसी सब्जियों के बढ़ते दामों ने आम नागरिकों का जीवन बदहाल कर दिया है। उपभोक्ताओं को मंहगे दामों पर खाद्य सामग्री उपलब्ध है और किसानों को भी उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है।निश्चित रूप से दलाल व्यापारियों की मुनाफाखोरी बढ़ती जा रही है । कोटा की दुकानों पर केवल गेहूं और चावल मिलता है जिससे खाने की जरुरतों को नहीं पूरा किया जा सकता है, और अक्सर बायोमेट्रिक मशीन पर अंगूठा न लगने के कारण गरीब परिवारों को इस राशन से भी वंचित रहना पड़ता है।समिति की महिलाओं का कहना था कि हम महिलाएं किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए आवश्यक वस्तुओं पर मंहगाई कम करने की मांग करते हैं ।
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