सौरभ द्विवेदी अमर रहें ,अमर रहें – अमर रहें के गगन भेदी नारों से गूंजा मुसमरिया गांव
गांव की महिलाओं ने बरसाए शहीद के ऊपर फूल
ख़बर दृष्टिकोण
जनपद जालौन की कालपी तहसील के महेबा ब्लाक के अंन्तर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मुसमरिया में जन्मे सौरभ द्विवेदी जो कि इंडियन आर्मी में भर्ती हुए थे । इंडियन आर्मी में भर्ती होने के बाद वह जम्मू कश्मीर के बॉर्डर पर तैनात थे । तैनाती स्थल पर ही अचानक उनकी तबीयत खराब होने पर उन्हें जम्मू अस्पताल में भर्ती कराया गया ।जहां ज्यादा हालत खराब होने पर उन्हें उधमपुर कमांड अस्पताल में भर्ती कराया गया ,जहां पर कुछ दिन इलाज चला ।लेकिन भारत मां का यह जवान 10/09/2024 को शहीद हो गया । सौरभ द्विवेदी के शहीद होने की खबर दिनांक 11/09/2024 को ही उनके गांव मुसमरिया आ गई थी ।लेकिन उनका पार्थिव शरीर आज 13 तारीख को गांव आ पाया ।शहीद सौरभ द्विवेदी की अंन्तिम यात्रा आज दिनांक 13/09/2024 दिन शुक्रवार को वहां से पूरे सैन्य सम्मान के साथ गांव आई ।जैसे ही गांव वालों को तथा अन्य पूरे क्षेत्र के लोगों को पता चला कि शहीद सौरभ द्विवेदी का पार्थिव शरीर आज ग्राम मुसमरिया में आ रहा है तो सुबह 9:00 बजे से ही चुर्खी उरई रोड के सोहाकर खेरा मोड़ पर हजारों की संख्या में लोग अपने शहीद के पार्थिव शरीर के आने की प्रतीक्षा करने लगे ।जैसे ही शहीद सौरभ द्विवेदी का पार्थिव शरीर सोहाकर खेरा मोड़ पर आया तो वहां पर पूरे सैनिक सम्मान के साथ शहीद के पार्थिव शरीर को सेना की एंम्बुलेंस से उतारकर के सेना के वाहन में रखा गया और उस सेना के वाहन को फूल मालाओं से सजाया गया । इसके बाद डीजे के देशभक्ति गाने के साथ वह यात्रा सोहाकर खेरा मोड़ से प्रारम्भ होकर के गांव मुसमरिया की ओर चल पड़ी ।शहीद सौरभ द्विवेदी की अंन्तिम यात्रा में हज़ारों का जनसैलाब इतनी संख्या में उमड़ पड़ा था कि सोहाकर खेरा मोड़ से लेकर के मुसमरिया गांव तक केवल भीड़ ही भीड़ दिखाई दे रही थी । और वह भीड़ शहीद सौरभ द्विवेदी अमर रहें ,अमर रहें – अमर रहें, जब तक सूरज चांद रहेगा – सौरभ द्विवेदी तेरा नाम रहेगा ,भारत माता की – जय ,वंन्दे – मातरम, वन्दे – मातरम् के गगनभेदी नारे लगा रही थी। और जैसे ही शहीद की अन्तिम यात्रा मुसमरिया गांव पहुंचकर मुसमरिया गांव के मुख्य प्रवेश द्वार से जैसे ही गांव में अंन्दर की ओर घुसी तो वहां पर इतना जन सैलाब उमड़ पड़ा था कि मुसमरिया की सड़कों में भीड़ नहीं समा रही थी ।जैसे-जैसे शहीद की अन्तिम यात्रा उनके घर की ओर बढ़ रही थी तो गांव की जिन- जिन गलियों से होकर के उनकी अंन्तिम यात्रा गुजर रही थी, उनमें सभी घरों की महिलाएं अपने -अपने घरों की छतों से चढ़कर के शहीद के पार्थिव शरीर पर फूल बरसा रहीं थीं और सभी महिलाएं चाहे वह नवयुवती हों या बुजुर्ग हों या कम उम्र की बच्चियां हों जो अपने-अपने घरों की छतों से शहीद सौरभ द्विवेदी की अंन्तिम यात्रा को देख रहीं थीं तो सभी की आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी। कठोर से कठोर हृदय वाले नवयुवक ,कठोर से कठोर हृदय वाले बुजुर्ग भी अपने आंसुओं को रोक नहीं पा रहे थे । धीरे-धीरे यात्रा शहीद सौरभ द्विवेदी के घर तक पहुंची और वहां पर उनका पार्थिव शरीर परिजनों के लिए अन्तिम दर्शन को थोड़ी देर के लिए रखा गया और फिर इसके बाद उनकी यात्रा घर से लेकर के चितास्थल की ओर चल पड़ी ।इस अंन्तिम यात्रा में बूढ़े, बच्चे ,जवान से लेकर के हजारों लोग ,जनप्रतिनिधि प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे ।और जब उनकी अंन्तिम यात्रा चितास्थल पर पहुंची तो वहां उन्हें पूर्ण सैनिक सम्मान के साथ , उनके पार्थिव शरीर के साथ आई हुई सेना की टुकड़ी के द्वारा सलामी दी गई। सेना की टुकड़ी के द्वारा शहीद को सलामी देने के बाद कालपी तहसील के एसडीएम सुशील कुमार सिंह और सीओ साहब देवेंन्द्र पचौरी के अलावा अन्य अनेक जनप्रतिनिधियों ने शाहिद को सलामी दी ।और इसके बाद शहीद सौरभ द्विवेदी के सगे छोटे भाई अंकित द्विवेदी ने उनकी चिता को मुखाग्नी दी ।
इन्सेट एक – सौरभ द्विवेदी के पिताजी का नाम सनोज द्विवेदी है जिनके करीब 5 साल पहले स्वर्गवास हो चुका है । शहीद सौरभ द्विवेदी की मां अभी जीवित हैं । गांव वालों ने बताया कि शहीद सौरभ द्विवेदी की मां का जीवन हमेशा से ही संघर्षों से भरा हुआ रहा है ।क्योंकि एक तो गरीबी की हालत और दूसरा उनके पति का स्वर्गवास हो जाने के बाद उन्होंने अपनी बड़ी बेटी शिखा द्विवेदी की शादी की। शिखा द्विवेदी के बाद घर में यही सौरभ द्विवेदी अपने दो भाइयों में बड़े थे ,जो बुढ़ापे में अपनी मां का सहारा बने थे ।गांव वालों ने बताया कि सन 2019 में सौरभ द्विवेदी की इंडियन आर्मी में नौकरी लग जाने के बाद जैसे तैसे परिवार में खुशियां आईं थीं उनको भी विधाता ने महज 5 साल में ही छीन लिया ।गांव वालों ने बताया कि शहीद सौरभ द्विवेदी के पिताजी के पास खेती-बाड़ी कुछ भी नहीं थी ।वह भूमिहीन थे और घर की हालत भी अच्छी नहीं थी ।जब हमारी टीम ने शहीद के घर जाकर के देखा तो उनका घर वास्तव बिल्कुल कच्चा बना हुआ था ।शहीद सौरभ द्विवेदी की अभी दिसंम्बर 2023 में शादी हुई थी ।उनकी पत्नी का नाम गोल्डी उर्फ नव्या है जो कि सौरभ द्विवेदी के साथ में ही थीं । शहीद हो जाने के बाद सौरभ द्विवेदी की पत्नी को एक दिन पहले ही सेना के जवान उन्हें छोड़ने मुसमरिया आए थे ।वह कल 12 सितंम्बर 2024 दिन गुरुवार को मुसमरिया आ चुकीं थीं
इनसेट 2 —– विधाता की लीला देखिए कि मात्रा 9 महीने में ही वह तारीख आ गई जिस तारीख को ठीक आज से 9 महीने पहले सौरभ द्विवेदी की पत्नी गोल्डी उर्फ नव्या दुल्हन बनकर के डोली में बैठकर के अपने पिया के घर आईं थीं ,आज ठीक 9 महीने बाद उन्हें इस तारीख में अपने पति की अंन्तिम यात्रा देखनी पड़ी ।ग्राम वासियों ने बताया कि शहीद सौरभ द्विवेदी की शादी 12 दिसंम्बर 2023 को हुई थी और 13 दिसंम्बर 2023 को सौरभ की पत्नी गोल्डी उर्फ नव्या दुल्हन बनकर के डोली में बैठकर अपनी ससुराल आईं थीं ।लेकिन विधाता को कुछ और ही मंन्जूर था । आज ठीक 9 महीने बाद 13 सितंम्बर की तारीख को गोल्डी उर्फ नव्या को अपने पति शहीद सौरभ द्विवेदी की अन्तिम यात्रा देखनी पड़ी ।यह विधाता की लीला का एक अजीब संयोग ही कहा जाए ।