कलयुगी बेटे ने अपने मांबाप पर ही पत्नी से दर्ज करवाया दहेज प्रथा का मुकदमा
आशियाना पुलिस ने बेटे बहू से जिद्दोजहद के बाद बुजुर्ग मांबाप को घर में दिलाया दाखिला
खबर दृष्टिकोण |
आलमबाग |आधुनिक समाज की चकाचौंध ने रिश्तों की परिभाषा ही बदल कर रखदी है।अपने खून पसीने की कमाई अपने बच्चों की खुशियों पर न्योछावर कर देने वाले मांबाप के ऊपर क्या गुजराती है जब विवाह के बाद पत्नी का साथ पाकर बेटा अपने बुजुर्ग और असहाय मांबाप को वृद्धाआश्रम की राह दिखा देता है।ऐसी ही अमानवीय घटना राजधानी के आशियाना थाना क्षेत्र में घटित हुई जहां बेटे ने शादी होते ही बूढ़े मांबाप की जरूरतों से आंखें मोंड़ लीं।मांबाप पर पत्नी से दहेज प्रथा का झूठा मुकदमा लिखवा कर मन नहीं भरा तो घर से बाहर कर वृद्धाआश्रम जाने का रास्ता दिखा दिया।
कासगंज चीनी मिल से सेवानिवृत्त बुजुर्ग वीरेंद्र मिश्रा अपना दर्द सुनाते हुए फफक पड़े और रोते हुए उन्होंने बताया कि पिछले सोलह वर्षों से वो अपने खून पसीने की कमाई से बनाए गये किला मोहम्मदी के अपने ही घर में कुढन की जिन्दगी जीने पर मजबूर हैं।उन्होंने बताया कि सोलह साल पहले लाड प्यार से पाले गये बेटे स्वतंत्र कुमार की शादी गांव के ही परिचित अशोक पाण्डेय की बेटी से करवा दी थी।शादी के बाद से ही बहू गुंजन ने रूपरंग दिखाना शुरू कर दिया।गुंजन ने बेटे स्वतंत्र को पूरी तरह वश में कर लिया और रोजाना मानसिक रूप से प्रताड़ित करती रही।बुजुर्ग वीरेंद्र की पत्नी पुष्पा स्वांस रोग से पीड़ित हैं लेकिन बेटा स्वतंत्र मांबाप की इन परेशानियों और उनकी जरूरतों का भी कोई खयाल नहीं रखता।बुजुर्ग वीरेंद्र का कहना है कि बहू के पिता अशोक पाण्डेय एक दबंग एवं पकड़ पहुंच रखने वाले इंसान हैं,बहू के बुलाने पर वो असलहा धारी साथियों के साथ आ कर उल्टा उन्हें धमका कर चले जाते हैं।बेटे और बहु मिलकर बूढे मांबाप को घर से निकाल कर घर हथियाना चाहते हैं।बीते मार्च के महीने में बेटे और बहू ने बूढे मांबाप को जमकर मारापीटा और घर से निकलने की कोशिश भी की,बेटे बहू के खिलाफ आशियाना थाने में मुकदमा भी लिखा गया बावजूद इसके बहू और बेटे की यातनाएं खत्म नहीं हुई।बहू ने दहेज प्रथा का झूठा मुकदमा भी न्यायालय के द्वारा दर्ज करवा दिया।
बुधवार को बहू और बेटे ने बूढ़े मांबाप को जबरदस्ती घर से निकाल कर बाहर कर दिया।लाचार और बेबस बुजुर्ग दंपति की गुहार सुन आशियाना प्रभारी निरीक्षक छत्रपाल सिंह का कलेजा पसीज गया और वो उन्हें लेकर घर पहुंचे लेकिन कड़ी मशक्कत के बाद वो बुजुर्ग मांबाप को घर में पनाह दिला पाए।