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अभियुवक्तों ने बताया कैसे करते थे साइबर क्राइम

लखनऊ।

साइबर क्राइम सेल और हजरतगंज की संयुक्त पुलिस टीम ने जिन साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है, उन्होंने ही पुलिस को कई चौकाने वाली जानकारियां दी हैं। पुलिस ने गिरोह के सरगना दुमका झारखंड निवासी प्रमोद मंडल उर्फ विजय और उसके भाई मनोज मंडल के अलावा राजेश कुमार, करन कुमार और जितेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया था। पुलिस और बैंक कर्मियों ने ठगों के उस्ताद प्रमोद मंडल और उसके साथियों से साइबर ठगी के तरीकों और उससे बचाव की जानकारी ली। ठगों ने बैंकों की खामियां गिनाई, जिसे दूर करने के लिए पुलिस पत्राचार कर रही है।एसीपी साइबर क्राइम सेल विवेक रंजन राय के मुताबिक गिरोह के निशाने पर सेवानिवृत कर्मचारी सबसे ज्यादा थे। आरोपित सीयूजी नंबर पर फोन कर लोगों को अपने जाल में फंसाते थे। बैंकों की खामियों को दूर कर ठगी के मामले रोके जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि सचिवालय से सेवानिवृत क्लर्क के खाते से बीते साल ठगों ने 53 लाख रुपये निकाल लिए थे। साइबर सेल ने तब 11 जालसाजों को गिरफ्तार किया था, लेकिन प्रमोद मंडल बच निकला था। प्रमोद गिरोह बनाकर धोखाधड़ी करता था। गिरोह खाता धारकों को फोन कर उनके बैंक का ब्योरा ले लेता था। इसके अलावा ओटीपी लेकर नेट बैंकिंग के जरिए भी ठगी करता था। यही नहीं अगर किसी ने बैंक में एफडी या माध्यमों से रुपये जमा किए हैं तो उसपर लोन लेकर रुपये हड़प लेता था। गिरोह में शामिल ठगों को अलग अलग काम दिया जाता था। ठग आपस में कॉल करना, फर्जी खाता खुलावाना, रुपये कैश करवाना, फर्जी सिम कार्ड उपलब्ध कराना और पुलिस की जानकारी देने समेत अन्य कार्य विभाजित कर लेता था। ठगी की रकम काम के हिसाब से प्रमोद साथियों को बांट देता था। आरोपियों के पास से एक लाख 20 हजार रुपये व छह मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं। प्रमोद और उसके गिरोह पर कई राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं, जिनका ब्योरा पुलिस जुटा रही है।

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