ख़बर दृष्टिकोण लखनऊ।
केशव प्रसाद मौर्य ने सम्बंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि खण्ड विकास अधिकारियों को सामान्य परिस्थितियों में जिला मुख्यालयों से कदापि संबद्ध नहीं किया जाये।विकास खण्डों का प्रभार प्रत्येक दशा में प्रादेशिक विकास सेवा संवर्ग के अधिकारी को ही दिया जाय। केशव प्रसाद मौर्य के निर्देशों के क्रम में इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश शासन ग्राम्य विकास विभाग द्वारा शासनादेश भी जारी कर दिया गया है।
जारी शासनादेश में सभी मण्डलायुक्तो, जिलाधिकारियों व मुख्य विकास अधिकारियों से अपेक्षा की गयी है कि जनपदों में तैनात खण्ड विकास अधिकारियों को सामान्य परिस्थितियों में जिला मुख्यालयों से कदापि संबद्ध नहीं किया जाय तथा यदि विकास खण्डों में तैनात किसी या किन्ही खण्ड विकास अधिकारी के विरूद्ध कोई गंभीर शिकायत , वित्तीय एवं प्रशासकीय अनियमितता का प्रकरण प्रकाश में आता है, तो संबंधित खण्ड विकास अधिकारी के विरूद्ध सुसंगत नियमों के अन्तर्गत कार्यवाही किये जाने हेतु जिलाधिकारी द्वारा स्पष्ट संस्तुति , आरोप-पत्र सहित आख्या शासन को उपलब्ध करायी जाय।यदि कोई ऐसी प्रशासकीय परिस्थिति उत्पन्न हो जाय कि प्रादेशिक विकास सेवा संवर्ग के खण्ड विकास अधिकारी को जिला मुख्यालय से संबद्ध करना अपरिहार्यता हो, तो ऐसी किसी भी संबद्धता की अवधि 03 माह से अधिक होने पर तत्काल शासन को इसके बारे में सूचित किया जाय । विकास खण्डों का प्रभार प्रत्येक दशा में प्रादेशिक विकास सेवा संवर्ग के अधिकारी को ही दिया जाय । प्रशिक्षु अधिकारी को छोड़कर यदि प्रशासकीय आवश्यकता के दृष्टिगत अन्य सेवा संवर्ग के अधिकारी को विकास खण्ड का प्रभार दिया जाना अपरिहार्य हो, तो इस संबंध में शासन की पूर्व अनुमति आवश्यक होगी। यदि एक से अधिक विकास खण्ड का प्रभार किसी अधिकारी को देना है, तो यह सुनिश्चित किया जाय कि अतिरिक्त प्रभार का विकास खण्ड मूल तैनाती के विकास खण्ड के समीप हो ।
शासन के निर्देशो का हवाला देते हुए ग्राम्य विकास आयुक्त जी एस प्रियदर्शी ने बताया कि वर्तमान में खण्ड विकास अधिकारियों / संयुक्त खण्ड विकास अधिकारियों की इतनी पर्याप्त संख्या है कि किसी एक अधिकारी को तीन विकास खण्ड का प्रभार देने का औचित्य नहीं है, यदि फिर भी ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है तो उक्त विशेष परिस्थिति से शासन को तत्काल अवगत कराया जाय । शासन द्वारा जारी इस सम्बन्ध में जारी दिशा निर्देशों में कहा गया है कि लिए गए निर्णय का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए।
