संवाददाता हरीश भारती।
पचोर म.प्र (खबर दृष्टिकोण)। विगत कुछ दिनों से राजगढ़ नगर में बाल भिक्षावृत्ति के मामले लगातार देखने को मिल रहे है। जिसमें 8 वर्ष से लेकर 15 वर्ष की उम्र के बालक, बालिकाए नगर के बस स्टेंड सहित अन्य चौराहे पर किसी से पैसे मांगने तो कोई सामान मांगता दिखाई दे रहा है। भिक्षावृत्ति कर रहे बच्चों के संबंध में अहिंसा वेलफेयर सोसायटी की टीम को जानकारी मिली तो, अहिंसा की टीम एवं विशेष किशोर पुलिस ईकाई की टीम भिक्षावृत्ति कर रहे हैं बच्चों के पास पहुंची, बच्चों से बातचीत की गई एवं बच्चों के बताएं अनुसार टीम उनके डेरो पर पहुंची, जहां पर संयुक्त टीम द्वारा बच्चों के परिजनों से बातचीत की गई एवं परिजनों को बच्चों से भिक्षावृत्ति न करवाने हेतु समझाइए दी गई। जब अहिंसा की टीम ने बच्चों के परिजनों से बातचीत की तो उनके द्वारा बताया कि वह विगत 8 से 10 वर्षों से राजगढ़ जिले में ही अलग-अलग कस्बो में जगह बदल बदल कर रह रहे है। और जितने भी डेरे पर लोग हैं वह सब उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के महुआ भोज गांव के महावत समुदाय के लोग हैं जो चटाई एवं अंगूठियां बेचने का काम करते हैं।जब टीम ने समुदाय की महिलाओं से चर्चा की तो उनके द्वारा बताया कि हमारे डेरे में 50 से 60 बच्चे हैं जिनका आज तक किसी भी विद्यालय में नामांकन नहीं करवाया है ना ही किसी भी आंगनबाड़ी का लाभ हमें प्राप्त हो रहा है। पूर्व में भी अहिंसा की टीम द्वारा शिक्षा के लिए लगाई थी गुहार। विगत वर्ष भी इन्हीं समुदाय के बच्चों के लिए अहिंसा की टीम द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र के माध्यम से जानकारी दी गई थी कि उनकी अस्थाई शिक्षा की व्यवस्था हो जाए जिससे कि यह समुदाय के लोग बुनियादी शिक्षा से दूर ना रहे, लेकिन आज तक इस तरफ कोई भी प्रयास दिखाई नहीं दिया जबकि कई बार समाजसेवियों द्वारा भी इन बच्चों को इन्हीं के डेरो में जाकर शिक्षा से जोड़ने का प्रयास किया गया लेकिन विभाग अभी भी इस तरफ अनदेखा ही दिखाई दे रहा है।अहिंसा की टीम द्वारा बाल कल्याण समिति को अवगत कराया गया है जिससे कि जब तक बच्चे राजगढ़ में रह रहे तब तक उनके लिए अस्थाई रूप से शिक्षा एवं स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कुछ बेहतर किया जा सके।