ख़बर दृष्टिकोण लखनऊ।
उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास, अल्प संख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ एवं हज, राजनैतिक पेंशन तथा नागरिक सुरक्षा मंत्री धर्मपाल सिंह ने गो-आश्रय स्थलों का निरीक्षण एवं निराश्रित गोवंश के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं के तीन दिवसीय स्थलीय निरीक्षण पर गये नोडल अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट की समीक्षा करते हुए कहा कि सभी अधिकारी गोवंश के संरक्षण के लिए पूरी ईमानदारी और मेहनत से कार्य करें। उन्होंने नोडल अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट की समीक्षा करते हुए कहा कि निराश्रित गोवंशों की और बेहतर देखभाल के लिए क्या कदम उठाये जा सकते हैं, इस विषय पर भी गम्भीरता एवं संवेदनशीलता के साथ विचार कर कार्य किया जाए।
धर्मपाल सिंह आज विधान भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में दिनांक 13 से 15 जुलाई तक प्रदेश के विभिन्न मण्डलों पर भ्रमण पर गये नोडल अधिकारियों की रिपोर्ट पर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने निराश्रित गोवंश के आश्रय स्थल पर उपलब्ध सुविधाओं जैसे- चारे, भूसा, पेयजल, प्रकाश तथा बरसात के मौसम को देखते हुए जलभराव आदि के सम्बंध में विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने कहा कि निराश्रित गोवंश के देखभाल में किसी प्रकार की कोताही नहीं होनी चाहिए। राज्य सरकार निराश्रित गोवंश के संरक्षण के प्रति बेहद संवेदनशील है। इसलिए गोवंश के लिए संचालित सभी कार्यक्रमों का ईमानदारी से क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
पशुधन मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि स्थानीय जिला प्रशासन के सहयोग से चारागाहों के लिए आरक्षित भूमि को अतिक्रमणमुक्त कराने के लिए हर संभव प्रयास किये जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि चारागाहों की रिक्त भूमि पर गोवंश के लिए हरे चारे ज्वार-बाजरा की बुआई तथा बरसीम, नेपियर घास लगाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय। उन्हांेने नोडल अधिकारियों से कहा कि मुख्यमंत्री के संकल्पों के अनुरूप सघन वृक्षारोपण के लिए नोडल अधिकारी अपनी सुविधानुसार किसी एक जनपद की गोशाला में 22 जुलाई को वृक्षारोपण अनिवार्य रूप से करें। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि वृक्षारोपण के लिए पीपल, पाकड़, बरगद, गूलर तथा जामुन के पौधे लगाने के प्रयास किये जाएं।
पशुधन मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि निरीक्षण के दौरान जिन जनपदों में गोशालाओं के रखरखाव में कुछ कमियां प्रकाश में आयी हैं उन्हें दूर करने का प्रयास किया जाय। जिन जनपदों में एमवीयू का सफल संचालन नहीं हो रहा है, वहां संचालन सुनिश्चित कराएं और 1962 नंबर का प्रचार प्रसार भी करायें। पत्राचार पर 1962 का ‘लोगो’ अनिवार्य रूप से प्रयोग किया जाय। इसी के साथ ही ब्लॉक, गो आश्रय स्थल, पशुचिकित्सा केंद्र पर यह नंबर पेंट कराएं। इसके अलावा गोशालाओं के निरीक्षण की विस्तृत रिपोर्ट पोर्टल पर दर्ज करायी जाय।
बैठक में उपस्थित अपर मुख्य सचिव पशुधन डॉ0 रजनीश दूबे ने वाराणसी एवं आजमगढ़ मण्डल की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए सुझाव दिये। उन्होंने कहा कि गो-आश्रय स्थलों पर मंत्री की अपेक्षाओं के अनुरूप व्यवस्था सुनिश्चित करायी जायेगी। उन्होंने कहा कि गोवंश की बेहतरी के लिए संचालित सभी कार्यक्रमों को कड़ाई से लागू कराया जायेगा। समीक्षा बैठक में विशेष सचिव पशुधन शिव सहाय अवस्थी, दुग्ध आयुक्त शशि भूषण लाल सुशील, निदेशक पशुपालन प्रशासन एवं विकास डॉ0 इंद्रमणि के अलावा पशुधन विकास परिषद के अध्यक्ष डॉ0 नीरज गुप्ता एवं अन्य अधिकारी मौजूद थे।