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संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाचार्याे एवं अध्यापकों की दक्षता सम्वर्धन के लिये 20 जुलाई से 05 दिवसीय सेवारत शिक्षकों का होगा प्रशिक्षण

-माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी

 

ख़बर दृष्टिकोण लखनऊ।

 

प्रदेश की माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी ने आज योजना भवन स्थित समागार में प्रेस प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद द्वारा वर्तमान सत्र में 04 डिप्लोमा पाठ्यक्रमों को प्रारम्भ किया जा रहा है। जिसमें छात्रों को पौरोहित्य (कर्मकाण्ड), व्यवहारिक वास्तुशास्त्र, व्यवहारिक ज्योतिष तथा योग विज्ञानम् में एक वर्षीय डिप्लोमा मिलेगा। उन्होंने बताया कि डिप्लोमा पाठ्यक्रम मान्यता प्राप्त विद्यालयों में स्ववित्तपोषित आधार पर संचालित होगें। पाठ्यक्रम एक वर्षीय तथा दो सेमेस्टर में विभाजित होगा। इंटर्नशिप के माध्यम से व्यवहारिक ज्ञान पर अधिक बल दिया जायेगा।

माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने बताया कि इन डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में उत्तर मध्यमा (कक्षा 12वीं) या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी प्रवेश हेतु पात्र होंगे, इसमें उच्च परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थी भी प्रवेश ले सकते है। प्रवेश हेतु कोई आयु सीमा नहीं होगी। संस्कृत विद्यालयों में डिप्लोमा पाठ्यक्रम चलाने हेतु अध्यापकों की व्यवस्था प्रबन्ध समिति द्वारा अपने निजी स्त्रोतो के माध्यम से की जायेगी। इसी प्रकार परीक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार करते हुए ऑनलाइन परीक्षा आवेदन, अग्रिम पंजीकरण और परीक्षा केन्द्रों पर सी०सी०टी०वी० की निगरानी में परीक्षा की व्यवस्था प्रारम्भ की गयी।

माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने बताया कि प्रदेश में केवल 02 राजकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालय थे किन्तु प्रदेश सरकार द्वारा वाराणसी, रायबरेली, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, जालौन, अमेठी, मुरादाबाद, एटा, हरदोई, गोरखपुर, अयोध्या, प्रयागराज, चित्रकूट तथा मथुरा सहित कुल 15 जनपदों में नवीन आवासीय राजकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों की स्थापना का निर्णय लिया है। सहायता प्राप्त 900 संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों की आधारित संरचना के विकास, विस्तार और सुदृढ़ीकरण हेतु प्रथम बार धनराशि 100 करोड़ रूपये की स्वीकृत प्रदान की गयी है, जिसमें 95 प्रतिशत धनराशि राज्य सरकार तथा 5 प्रतिशत धनराशि की व्यवस्था सम्बन्धित विद्यालय/संस्था की प्रबन्ध समिति द्वारा की जायेगी। इन सहायता प्राप्त विद्यालयों को साज-सज्जा और फर्नीचर इत्यादि के लिये 05 करोड़ रूपये की अतिरिक्त धनराशि भी प्रथम बार दी गयी। सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिये प्रथम बार पारदर्शी चयन प्रक्रिया बनायी गयी है तथा 518 मानदेय शिक्षकों की तैनाती की गयी है। प्रथम बार संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाचार्याे एवं अध्यापकों की दक्षता सम्वर्धन के लिये 05 दिवसीय सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण 20 जुलाई से प्रारम्भ किया जा रहा है, जिसमें वित्तीय एवं विद्यालय प्रबन्धन के साथ-साथ नवाचार शिक्षा का प्रशिक्षण दिया जायेगा।

माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने बताया कि पारम्परिक विषयों के साथ आधुनिक विषयों एवं एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम का समावेश करते हुए संस्कृत शिक्षा के आधुनिकीकरण व प्रसार हेतु वर्ष 2019 से समस्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में नवीन पाठ्यक्रम लागू किया गया। 17 वर्ष उपरान्त योगी सरकार द्वारा नवीन संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों की मान्यता प्रारम्भ की गयी। ऑनलाइन स्वच्छ एवं पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से प्रदेश में 48 संस्थाओं को नवीन मान्यता प्रदान की गयी। राजकीय और सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा 6-8 तक के विद्यार्थियों के लिये निःशुल्क पाठ्यपुस्तकों और मध्याहन भोजन की व्यवस्था करायी गयी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में संस्कृत माध्यम से पठन-पाठन की व्यवस्था के लिये कुल 1166 संस्कृत माध्यमिक विद्यालय संचालित है, जिनमें 01 लाख से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत है। प्रदेश सरकार द्वारा संस्कृत शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिये निरन्तर कार्य किये जा रहे हैं।

इस अवसर पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ0 महेन्द्र देव, संयुक्त निदेशक माध्यमिक शिक्षा भगवती सिंह, प्रदीप कुमार एवं विष्णुकांत पाण्डेय, उप निदेशक विवेक नौटियाल, सचिव संस्कृत माध्यमिक शिक्षा परिषद आर0के0 तिवारी विभागीय अधिकारी गण उपस्थित रहे।

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