वैश्विक महामारी से एक तरफ देश और दुनिया में संकट गहराता जा रहा है तो साथ ही इस महामारी को अवसर बना कर राजधानी लखनऊ के कुछ अस्पताल इसे अवसर समझ कर मरीज और तीमारदार से मनमाना भुगतान करने की जुगत में शामिल है।शासन ने इन सभी अस्पतालों के जांच हेतु विभिन्न क्षेत्रों में वरिष्ठ नोडल अधिकारी रोशन जैकब के मार्गदर्शन हेतु सभी तहसीलों और शहरीय क्षेत्रों में सेक्टर प्रभारी व मजिस्ट्रेट की टीमों को लगाकर संबंधित जन शिकायतों और अस्पतालों के पक्ष को सुनने के बाद निस्तारण हेतु आख्या पर जांच कराई गई तो सभी पर जांच साबित हुई।
*पहला मामला*
लखनऊ के पोर्श इलाके गोमती नगर में मेट्रो हॉस्पिटल ने शासन के सभी आदेशो को दरकिनार कर COVID से ग्रसित मरीज को भर्ती कर उसके परिजनों से नगद और ऑनलाइन के तरीको से पीपीई कीट, ग्लब्स, आईसीयू और नर्सिंग चार्ज को कच्ची पर्चियों पर भुगतान के रुप में वसूला गया और साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा तय मानक के अनुसार आरटीपीसीआर की जांच के तीन हजार रुपए मनमाने तरीके से भुगतान कराया गया, जबकि शासन के आदेशानुसार जांच की राशि छह सौ से सोलह सौ तय की गई है।
*दूसरा मामला*
पीजीआई क्षेत्र में रायबरेली रोड स्थित साई लाइफ अस्पताल में मोहनलालगंज सीएचसी निरीक्षक और सेक्टर प्रभारी द्वारा अस्पताल में शिकायत अनुसार औचक निरीक्षण किया गया तो तमाम खामियां नजर आई। उस दौरान मात्र एक डॉक्टर(बीएएमएस) जिसका स्टाफ लिस्ट में आईसीयू प्रभारी के रूप में उल्लेख था साथ ही नर्सिंग स्टाफ नौ कर्मियों का उल्लेख था जबकि मौके पर एक ही उपस्थित थी।बीते डेढ़ महीनो में अस्पताल के रिकॉर्ड अनुसार 58 COVID से ग्रसित मरीजों को भर्ती किया गया जिसमे 13 लोगो की अब तक मौत हो चुकी है, साथ ही जांच के दौरान सभी भर्ती मरीजों और परिजनों से टेलीफोनिक संपर्क कर उनसे ब्योरा लिया गया जिसमे उनके द्वारा प्रतिदिन पांच हजार जमा कराने की बात बताई गई और बगैर बिल के भुगतान राशि वसूल करने की बात का उल्लेख किया गया, जिसमे सभी आरोप सिद्ध पाए गए है
*तीसरा मामला*
पीजीआई क्षेत्र में ही दूसरा आशी अस्पताल जो की उठरेठिया क्षेत्र में स्थित है।यहां सेक्टर प्रभारी और सीएचसी अधीक्षक द्वारा संयुक्त जांच की गई तो उसमे बड़ा खुलासा हुआ, जिसमे NON COVID अस्पताल होने के बावजूद महामारी से ग्रसित मरीज को बगैर जांच के भर्ती किया गया जिसका बीते माह निधन हो गया।परिजनों के मुताबिक उनसे इलाज के एवज में 6,60,000 की धनराशि वसूली गई जबकि अस्पताल द्वारा प्रस्तुत बिल में 3,93,904 धनराशि दर्शाई गई है तो साथ ही इंसानियत की सभी हदें पार कर पैथोलॉजी जांच संबंधी परिजनों से प्रतिदिन 15,272 रुपए जो कि एलएफटी और केएफटी की प्रतिदिन जांच होना भी दर्शाया गया है।
*चौथा मामला*
शहर के नामचीन अस्पतालो में शुमार चरक अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर में भी शिकायतकर्ता द्वारा तय धनराशि से अधिक वसूल किए जाने की शिकायत हेतु एसडीएम सिटी/सेक्टर प्रभारी की टीम द्वारा जांच की गई जिसमे दोष साबित हुआ तो अस्पताल द्वारा मरीज के परिजन को सुलह समझौते के बाद उससे वसूल की गई अधिक धनराशि को उसे वापस लौटाया गया और साथ ही शपथ पत्र दाखिल कर उसमे शासन के आदेशो और तय धनराशि से अधिक न वसूल किए जाने की बात का भी उल्लेख किया गया तो साथ ही भविष्य में ऐसी घटना होने पर अस्पताल प्रशासन पूर्ण रूप से स्वयं जिम्मेदार भी होगा ।
बहरहाल प्रदेश सरकार द्वारा एक तरफ इस वैश्विक महामारी से लड़ने और इसे खत्म करने हेतु तमाम उपाय और जांचों को किया जा रहा है, तो वही ऐसे अस्पतालो ने आपदा को अवसर के रूप में बदलकर महामारी से ग्रसित मरीजों को अपनी अवैध कमाई का एक जरिया भी सुनिश्चित कर लिया हैं, जो की कहीं न कहीं सरकार व चिकित्सा प्रणाली को धूमिल करने की जद्दोजहद में प्रयासरत है।
वरिष्ठ नोडल अधिकारी रोशन जैकब द्वारा जांच में पाए गए चरक अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर को कठोर चेतावनी और भविष्य में ऐसी अप्रिय घटना को दोहराने पर विधिक कार्यवाही की बात कहते हुए बाकी तीन अस्पतालो के खिलाफ एपेडिमिक डिजीज एक्ट 1987 एवम उत्तर प्रदेश लोक स्वास्थ महामारी अधिनियम 2020 के तहत एफआईआर दर्ज करवाने के आदेश भी दिया गया है।
