लखनऊ, उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में बुधवार को प्रदेश में छह हजार से ज्यादा मिले संक्रमित मरीजों व 40 मौतों ने राज्य को हिला कर रख दिया। बुधवार रात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया कि यूपी के जिन जिलों में 500 से अधिक कोविड के केस हैं, वहां 8 अप्रैल से रात 9 बजे से सुबह 5 तक नाइट कर्फ्यू/ प्रतिबंध डीएम अपने-अपने राज्यों में लगाएं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि भीड़ वाली जगह चिन्हित करें, वहां सख्ती करिये, चालान करिए न सुधरें तो सील कर दीजिए। इसी क्रम में लखनऊ में आठ अप्रैल से नाइट कर्फ़्यू लगाया जा रहा है।लखनऊ नगर निगम क्षेत्र में डीएम अभिषेक प्रकाश ने 8 अप्रैल से शहर में रात 9 बजे से सुबह 6 बजे तक प्रत्येक दिन रात्रि कालीन कर्फ्यू लगाया है। बताया जा रहा है कि यह रात्रि कालीन कर्फ्यू 16 अप्रैल की सुबह 6 बजे तक रहेगा। दिन में सुबह 6 बजे से शाम 9 बजे तक कोविड प्रोटोकाल के साथ काम चलता रहेगा। आवश्यक की वस्तु को ही लाने व ले जाने की छूट होगी। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में रात्रिकालीन कर्फ्यू नहीं लागू होगा। फल, सब्जी, दूध, एलपीजी, पेट्रोल – डीजल और दवा की सप्लाई जारी रहेगी। रात्रि कालीन शिफ्ट के सरकारी / अर्ध सरकारी कार्मिक एवं आवश्यक वस्तुओं/ सेवाओं में रत निजी क्षेत्र के कार्मिकों को छूट होगी। रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, एयरपोर्ट पर आने जाने वाले लोग अपना टिकट दिखाकर आ-जा सकेंगे। इसके साथ ही हर प्रकार की मालवाहक गाड़ियों के आने – जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। वर्ष 2020 के मुकाबले कोरोना बुधवार को 21 साबित हो गया। राजधानी लखनऊ में एक दिन में सर्वाधिक 1333 संक्रमित पाए गए हैं। वहीं, पिछले वर्ष रोजाना संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या कभी भी 1300 के आंकड़े को पार नहीं कर सकी थी। मगर 2021 में मार्च की शुरुआत से ही कोरोना ने घातक रुख अख्तियार कर लिया है। बुधवार को छह संक्रमितों की मौत हो गई। पिछले वर्ष 18 सितंबर को सर्वाधिक 1244 लोग संक्रमण की चपेट में आए थे। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कोविड-19 से अति प्रभावित 13 जनपदों की स्थिति की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा करते हुए दिशा-निर्देश जारी किए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के साथ-साथ दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में कोविड संक्रमण की स्थिति तेजी से खराब हो रही है। ऐसी स्थिति में वहां निवासरत उत्तर प्रदेश के नागरिकों की वापसी संभावित है। पंचायत चुनाव की प्रक्रिया भी चल रही है। आने वाले दिन हमारे लिए चुनौतीपूर्ण होंगे। हमें इसका सफलतापूर्वक सामना करना है। पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश के सभी जिलों ने कोविड प्रबंधन का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया था, इस बार भी हम टीम वर्क से इस लड़ाई को जरूर जीतेंगे।लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर नगर, गोरखपुर, मेरठ, गौतमबुद्ध नगर, झांसी, बरेली, गाजियाबाद, आगरा, सहारनपुर और मुरादाबाद जिले में कोविड संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। यहां केस की संख्या अधिक है। हालांकि, पॉजिटिविटी दर में गिरावट हुई है। कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग बढ़ाई जाए। ट्रेस करके उनका टेस्ट किया जाए और जरूरत के अनुसार ट्रीटमेंट दिया जाए। निगरानी समितियों और इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की उपयोगिता बढ़ाई जाए। पब्लिक एड्रेस सिस्टम का अधिकाधिक प्रयोग किया जाए। मास्क न लगाने वाले लोगों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए। इन सभी जनपदों में निगरानी के लिए तत्काल विशेष सचिव स्तर के अधिकारियों की तैनाती की जाए।जिन जिलों में प्रतिदिन 100 से अधिक केस मिल रहे हैं, अथवा जहां कुल एक्टिव केस की संख्या 500 से अधिक है, वहां माध्यमिक विद्यालयों में अवकाश के संबंध में जिलाधिकारी स्थानीय स्थिति के अनुरूप निर्णय लें। ऐसे जिलों में रात्रि में आवागमन नियंत्रित रखने के संबंध में भी समुचित निर्णय लिया जाए, लेकिन किसी भी परिस्थिति में आवश्यक सामग्री जैसे दवा, खाद्यान्न आदि के आवागमन को बाधित न किया जाए। नगर विकास विभाग द्वारा नगरों में विशेष स्वच्छता अभियान संचालित किया जाए। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सैनिटाइजेशन, स्वच्छता आदि का विशेष महत्व है। कुल कोविड टेस्ट में कम से कम 50 प्रतिशत टेस्ट प्रतिदिन आरटीपीसीआर विधि से किए जाएं। रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट तथा बस अड्डे पर रैपिड एन्टीजन टेस्ट की व्यवस्था को और प्रभावी किया जाए। अगले कुछ दिनों में महाराष्ट्र आदि प्रदेशों से विशेष ट्रेन भी संचालित होगी। ऐसे में गोरखपुर, गोंडा, बस्ती व आसपास के क्षेत्रों में खास सतर्कता बरते जाने की जरूरत है।
