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दलित गरीब विधवा रोती गिड़गिड़ाती रही पर बगैर नोटिस के ही बुलडोजर उसका मकान रोदेता रहा

 

 

रिपोर्ट मो०अहमद, चुनई

 

पुरवा-उन्नाव:- बाबा के बुलडोजर ने बिना नोटिस के एक गरीब व विधवा दलित का आसियाना भी जमींदोज कर दिया। दो दिन पहले स्थानीय प्रशासन पर क्षेत्रीय विधायक द्वारा लगाए गए गम्भीर आरोपों के कारण प्रशासन ने आंख मूंदकर कार्यवाही कर दी।

स्थानीय तहसील क्षेत्र के गांव कालूखेड़ा स्थित मौरावां मोहनलालगंज मार्ग पर फातिमा नर्सिंग होम के समीप बना विधवा धुनारा पत्नी स्व० शत्रोहन रावत का आसियाना भी प्रशासन ने सोमवार को बुलडोजर से ध्वस्त करा दिया। बेचारी दलित महिला प्रशासन के आगे हाथ जोड़ती हुई रोती गिड़गिड़ाती रही परन्तु उसके आंसुओं पर किसी को भी दया नहीं आई। धुनारा ने मीडिया को दिए गए बयान में बताया कि उसका आवंटन था और उसी भूमि पर उसका मकान व दुकान बनी थी। उसके पांच बेटियां और एक छोटा बेटा है। उसी दुकान के सहारे वह अपने परिवार का भरण-पोषण करती है। बुजुर्ग महिला ने बताया कि उसने विधायक अनिल सिंह को भी फोन करके मकान न गिराए जाने की अपील की थी लेकिन उसके बावजूद भी किसी ने एक नहीं सुनी। स्थानीय प्रशासन ने आव देखा न ताव, उस विधवा महिला के आसियाने पर भी बुलडोजर चलवा दिया। उसे सामान हटाने तक का भी मौका नहीं दिया गया। जब मीडिया ने एसडीएम दयाशंकर पाठक से इस बाबत पूछा तो उन्होंने बताया कि सभी निर्माण डॉ शकील के गिराए गए हैं और उन्हें कोई जानकारी नहीं है। खैर पीड़िता के बच्चों व उसका रो-रोकर बुरा हाल था। आम जनता में यह बातें भी चर्चा का विषय बनी हुई थी कि क्षेत्रीय विधायक को बार-बार सोशल मीडिया पर यह कहते सुना गया है कि गरीब को छेड़ेंगे नहीं और विरोधियों को छोड़ेंगे नहीं। लेकिन परिणाम कुछ और ही दिखा। पीड़ित महिला ने अपने बयान में यहां तक कहा कि उसने विधानसभा चुनाव में वोट भी विधायक अनिल सिंह को ही दिया था। आपको बता दें कि दो दिन पहले मौरावां में सीवर टैंक गिराने गये प्रशासन पर क्षेत्रीय विधायक अनिल सिंह ने रुपए लेकर काम करने का गंभीर आरोप लगाया था। टैंक तो नहीं गिरा पाए लेकिन शायद उसी टीस को मिटाने के लिए प्रशासन ने उस गरीब दलित महिला का आसियाना गिराना ही उचित समझा। फिलहाल प्रशासन की इस कार्यवाही को लोग पचा नहीं पा रहे हैं। साथ ही सोशल मीडिया पर डॉ शकील के शुभचिंतकों में भी भारी रोष व्याप्त है। वे लोग भी उक्त कार्यवाही को राजनीति से प्रेरित करार दे रहे हैं। आप लोगो को इतना तोज्ञात होगा ही की सन 2007 के चुनाव के बाद डा० शकील को राजनैतिक शिकार बन्ना पड़ा था फिर2017 में डाo शकील जिनके लिये गांव गांव गली खाक छानी आज वही लोग उनको मिटाने पर तुले है यह कैसी राजनीत है।

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