कागजी खानापूर्ति के जरिए अधिकारी उड़ा रहे शासनादेश की धज्जियां
अजय सिंह
सीतापुर।प्रदेश सरकार के जारी किए शासनादेश महज कागजों तक ही सीमट कर रह गये हैं यह बाखूबी देखा जा सकता है,लहरपुर क्षेत्र में ही महज दो दर्जन लगभग अवैध ईंट भट्ठा संचालित हैं,परंतु प्रशासन की जिम्मेवारी सम्भाले अधिकारी यह बखूबी शायद जानते हैं की शासनादेश का किस तरह पालन कराना है या शासन को अपनी कार्यवाही का दिखावा दिखाकर चकमा देना है।यही प्रदूषण बोर्ड की भी शैली नजर आ रही है जनपद के अवैध ईंट भट्ठे संचालित हैं पर कार्यवाही शून्य।जो यह साबित कर रही है की कहीं न कही कुछ भ्रष्टाचार तो हुआ है।बताते चलें कि अवैध ईंट भट्ठों पर जो प्रदूषण सेंस लगाने का प्रावधान बताया जा रहा है की अगर इस तरह से शासन के नियमों से परे अवैध भट्ठो को संचालित की जाता है तो प्रदूषण सेंस लगाकर कार्यवाही अमल में लायी जाए।जो प्रदूषण सेंस की बात की जाए तो प्रतिदिन के हिसाब से 6000₹ की बातें हो रही हैं, अगर ऐसे अवैध ईंट भट्ठो पर लगाया जाए,तो यह सेंस लाखों में नहीं बल्कि एक बिना एनओसी ईंट भट्ठे से लाखों की राजस्व की वसूली होगी कहने का तात्पर्य है की लहरपुर क्षेत्र में दो दर्जन से अधिक अवैध ईंट भट्ठो का संचालन हो रहा है तो प्रदूषण सेंस करोड़ो में वसूल होगा ,परंतु जिसतरह कार्यवाही छलावा नजर आ रही है।शायद यह होना संभव नहीं होगा वह इसलिए की जो बातें हो रही हैं जनमानस में उसमें कहा जा रहा है की प्रदूषण सेंस अगर वसूल किया जाएगा तो अवैध ईंट भट्ठे संचालित होना बंद हो जाएंगे, अगर इनका संचालन बंद हो जाएगा तो मोटी रकम अधिकारीयों को मिलना बंद हो जाएगी।हालांकि यह बातें कितनी सार्थक हैं यह तो इसपर जांच हो तो पता चल जाएगा की जो प्रशासन द्वारा कार्यवाही हुई उससे ईंट भट्ठों पर कितना असर हुआ बल्कि आज भी शासन के नियमों के दरकिनार कर सभी संचालित हैं। क्या इन्हें चिन्हित कर प्रदूषण सेंस लगाया जाएगा,यह प्रश्न तो उठता है,लेकिन इसकी बातें ही हो रही हैं ऐसा होना सम्भव नहीं लगता,अगर शासन इसपर उच्च स्तरीय जांच कराये,तो यह हो भी सकता है साथ ही अधिकारियों जिनकी निगरानी में नियमों की अनदेखी हुई,उनकी भी खबर ली जा सकती है जो अधिकारी प्रशासनिक दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं।…क्रमशः
