कानपुर, । प्री एक्टीवेट सिम बेचने के आरोप में गिरफ्तार दोनों भाईयों ने मंदिर परिसर को ही साइबर ठगी का ठिकाना बनाया हुआ था। इसीलिए इतने समय से दोनों पुलिस की नजर में नहीं चढ़े। डीसीपी क्राइम ने बताया कि अभिषेक बीएससी और हर्षिक एमएससी पास हैं। दोनों भाईयों ने वोडाफोन आइडिया की डिस्ट्रीव्यूटरशिप के लिए पिता से दस लाख रुपये लिए थे। दोनों भाईयों ने गोविंदनगर में श्री अमरेश्वर इंटरप्राइजेज और उन्नाव में एक अन्य कंपनी के नाम से डिस्ट्रीव्यूटरशिप ली। इनका मुख्य ठिकाना मंदिर स्थित कमरा था, जिसे इन्होंने कार्यालय बना रखा था। पुलिस ने जब यहां छापा मारा तो मौके से पुलिस को फर्जी आधार कार्ड, 547 प्री एक्टीवेटेड सिम के साथ हजारों की संख्या में फर्जी दस्तावेज बरामद हुए। डीसीपी को मुताबिक दोनों भाई प्री एक्टिवेटेड सिम साइबर ठगों को तीन सौ से पांच रुपये के मुनाफे पर बेचते थे। जांच में यह भी पता चला है कि इन सिम का प्रयोग छत्तीसगढ़, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश में किया गया है।डीसीपी के मुताबिक शानू से ठगी के मामले में जो सिम प्रयोग किया गया, उससे दोनों भाईयों ने करीब ढाई हजार सिम प्री एक्टिवेट करके बेचे। जबकि पांच अन्य मोबाइलों से नौ हजार से ज्यादा सिम प्री एक्टीवेट किए गए। सूत्रों के मुताबिक इन सिम का प्रयोग चकेरी के साइबर ठगों के अलावा जमताड़ा व राजस्थान के साइबर ठगों ने भी किया है। इस गोलमाल का पर्दाफाश करने वाले चकेरी के इंस्पेक्टर क्राइम जावेद अहमद ने बताया कि वोडाफोन कंपनी केवल आधार कार्ड देखकर सिम एक्टिवेट करती है। आधार कार्ड सही है या नकली, इसकी जांच नहीं होती। दूसरा डिस्ट्रीव्यूटर को हर महीने का टारगेट दिया गया है। इसी व्यवस्था का फायदा दोनों भाईयों ने उठाया। एक ही व्यक्ति की फोटो का उपयोग करके उन्होंने डिजिटल आधार ङ्क्षप्रट डाट आनलाइन पर जाकर नकली नाम व पतों से आधार कार्ड बनाए और उनकी मदद से सिम प्री एक्टिवेट कर लिए। पुलिस ने एक ही फोटो से बने सैंकड़ों जाली आधार कार्ड बरामद किए हैं।