इतिहास के पन्नों में दर्ज कुसमिलिया का दंगल
कुसमिलिया जालौन -डकोर क्षेत्र के कुसमिलिया गांव में चार दिवसीय राज्य स्तरीय दंगल एवं मेले का शुभारंभ सदर विधायक गौरीशंकर वर्मा ने पहलवानों के हाथ मिलवाकर किया। दंगल के पहले दिन पहलवानों के बीच तीन दर्जन से अधिक कुश्तियां हुईं। जिसमें पहलवानों ने निकाल दांव, कलाजंग, जांघिया, टंगी (ईरानी), सांडीतोड़, बगलडूब आदि दांव-पेंचों से दर्शकों को रोमांचित कर दिया। खासकर महिला पहलवानों की कुश्तियां ने दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया। तालियों की गड़गड़ाहट से समूचा कुसमिलिया गूंजता रहा।
दंगल के प्रथम दिन रविवार को पहली और सबसे बड़ी कुश्ती इक्कीस हजार रुपए के लिए संदीप कुठौंदा व चरण सिंह भरसूड़ा के बीच हुई। आधा घंटा चली यह कुश्ती बराबर पर छूटी। इसके बाद 2500 रुपए की कुश्ती में शैलू मथुरा को गोलू बनारस ने पटकनी देकर कुश्ती जीती, इसी तरह 2500 रुपए की कुश्ती में अंकित गोरा झाँसी ने गोरखपुर के राजिंदर को धूल चटाकर जीत हासिल की, 2000 की कुश्ती में लोकेन्द्र भरसूंड़ा ने राजस्थान के भरत को हराया, 3500 की कुश्ती में विश्वजीत मथुरा को पवन सोनीपत ने चित किया। दंगल में कुल मिलाकर हुईं 45 कुश्तियों में पहलवानों ने तरह-तरह के दांव-पेंच दिखाए। रेफरी की भूमिका में मूलचंद राजपूत व सुरेश राजपूत रहे। निर्णायक मंडल में सतीश राजपूत, भूरा पहलवान आदि थे। कुश्ती देखने डकोर क्षेत्र के गांवों से ट्रैक्टर ट्रालियों में भर-भरकर लोग दंगल और मेला देखने पहुंचे। इससे पूर्व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक गौरीशंकर वर्मा ने कहा एक पहलवान के लिए सिर्फ ताकत और शारिरिक सौष्ठव ही सब कुछ नहीं होता। बल्कि उसे फुर्ती और धैर्य के साथ अपने प्रतिद्वंदी पहलवान का मन पढ़कर मौका लगते ही सही दांव से ही प्रतिद्वंदी को पराजित करना चुनौती भरा होता है। इस मौके पर प्रधान पति कृष्णकुमार राजपूत, परमेश्वरी दयाल राजपूत, नारायण महान, बलवान राजपूत, पूर्व प्रधान कंचन राजपूत, अतर सिंह राजपूत, डॉ हरनाम राजपूत, हरिशंकर बाबाजी, गोपी मास्टर, जीतू राजपूत, बीरेंद्र राजपूत, शिवकुमार मुहाना, शैलेन्द्र राजपूत, सुशेन्द्र राजपूत, विपिन पालीवाल, डेविट राजपूत, तुलसीराम फौजी, दिवाकर राजपूत, कौशलेंद्र आदि के अलावा थाना डकोर फोर्स ने सुरक्षा व्यवस्था संभाली।