Breaking News

जिस घुरघुरी में सीता माता ने धोए थे पैर, स्वाती सिंह के प्रयास से होगा कायाकल्प

 

-ऐसी है मान्यता पैर धोने के बाद अमृत हो गया था तालाब का पानी, पानी पीने से ठीक हो जाते थे बीमार लोग

 

लखनऊ, 23 अक्टूबर। कई दशकों से उपेक्षित मोहान रोड स्थित ऐतिहासिक घुरघुरी तालाब का अब सौंदर्यीकरण हो जाएगा। इसके लिए सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र की विधायक व प्रदेश सरकार की राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वाती सिंह बहुत दिनों से लगी हुई थीं। इस ऐतिहासिक तालाब के लिए 157.70 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति मिल चुकी है। इसमें से प्रथम 40 लाख रुपये की पहली किश्त जारी भी कर दिया गया है। इस तालाब का अस्तित्व भगवान राम के समय का माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि बिठूर जाते समय सीता ने इसमें पैर धोए थे। इसके बाद यहां का जल अमृत बन गया था।

यूपी पर्यटन विभाग द्वारा जारी किये गये बजट के साथ ही उच्च गुणवत्ता पूर्ण कार्य करने की बात कही गयी है। 19वीं सदी में एक हिंदू राजा गुरुदयाल द्वारा बनवाये गये इस तालाब के प्रति उधर के लोगों में काफी आस्था है। दूर-दूर से लोग आकर इस तालाब में पूजा-पाठ करते हैं। इस तालाब के किनारे दुर्गा व हनुमान जी का मंदिर भी है। कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाले मेले में काफी दूर-दूर से लोग यहां आते हैं।

इस संबंध में राज्यमंत्री स्वाती सिंह ने कहा कि सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र हमारा परिवार है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने हर आस्था के केन्द्र को सुंदर व आकर्षक बनाने के लिए हर तरह से प्रयास किये हैं। इसी कड़ी में हमने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपने विधानसभा क्षेत्र के इस ऐतिहासिक तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए अनुरोध की थी। इसके लिए उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने बजट को स्वीकृति देते हुए प्रथम किश्त भी जारी कर दिया। काकोरी कस्बे में घुरघुरी तालाब के बारे में मान्यता है यह भगवान राम के समय से इसका अस्तित्व है। कहा जाता है कि बिठूर जाते समय सीता ने इसमें पैर धोए थे। इसके बाद यहां का जल अमृत बन गया था। लोग कहते हैं कि, कभी इस तालाब का जल लगाने से घाव ठीक हो जाते थे। ये पानी पीने से बीमार लोग ठीक हो जाते थे। देखरेख के अभाव में तालाब का पानी प्रदूषित होता चला गया।

आसपास के गांवों के लोग यहां कागज में अपनी अर्जी लिखकर यहां एक दीवार में लगा जाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उनकी मुरादें पूरी हो जाती है। यह करीब साढ़े चार बीघे के खुले परिसर में बना हुआ है। स्थानीय निवासी महादेव प्रसाद अवस्थी ने बताया कि तालाब को गोड़ धुली नाम से भी जाना जाता है। कालांतर में इसे दस्तावेजों में गुरघुरी के नाम से दर्ज कर दिया गया। यह गुरुदयाल लाला के नाम पर दर्ज है जिनके बारे में लोगों को कुछ नहीं मालूम है।

About Author@kd

Check Also

मिशन शक्ति कार्यक्रम के अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय मुकीमपुर में जागरूकता कार्यक्रम संपन्न

    प्रधानाध्यापिका व शिक्षकों ने छात्राओं को दिए उपहार। खबर दृष्टिकोण सिधौली/सीतापुर । तहसील …

error: Content is protected !!