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फतेहअली रेलवे कॉलोनी जर्जर मकान हादसा……

 

पांच मौतों का जिम्मेदार कौन ?

 

पानी बिजली कटने के बाद भी लोग कंडम मकानो में रहने को मजबूर,

 

 

खबर दृष्टिकोण आलमबाग |बीते पंद्रह सितंबर को आलमबाग अंतर्गत आनंद नगर फतेहअली रेलवे कालोनी के कंडम मकान की छत गिरने से हुए हादसे में जहां एक ही परिवार के पांच सदस्यों की असमय दर्दनाक मौत हो गई, वहीं मामले को लेकर रेल प्रशासन द्वारा की जा रही कार्यवाही आज भी खच्चर की रफ्तार में दौड़ रही है । हादसे के बारह दिन बीत जाने के बाद भी रेल प्रसाशन घटना के पीछे छिपे सही कारणों का पता नहीं लगा पाया है । रेल प्रसाशन अधिकारियों के कथनानुसार फतेहअली रेलवे कालोनी के जर्जर मकानों में रह रहे लोगों को पूर्व मे दी गई मकान खाली करने की नोटिस के बाद भी जर्जर मकानों में परिवारों का रहना रेल प्रसाशन पर बड़़े सवाल खड़े कर रहा है । बताते चलें कि बीते 15 सितंबर की देर रात आलमबाग अंतर्गत आनन्द नगर फतेहअली रेलवे कालोनी के मकान संख्या एल-60 जेड की छत गिरने से लोको में ठेकेदार के आधीन सफाई कर्मी के तौर पर काम करने वाले सतीश समेत उसकी पत्नी सरोजनी व बड़े बेटे हर्षित, बेटी हर्षिता और सबसे छोटे बेटे कृष्णा की मलवे में दबकर दर्दनाक मौत हो गई थी ।

 

घर के बाहर पड़ी ग्रहस्थी, खाली पड़ा मुर्गी का दरबा और छत विहीन जर्जर मकान पूंछ रहे है बस एक ही सवाल…..

कौन है पांच मौतों का जिम्मेदार ?

 

आनंद नगर फतेहअली रेलवे कालोनी स्थित मकान संख्या एल – 60 जेड में 12 दिन पूर्व हुए हादसे में हुई पांच मौतों के बाद पूरी कॉलोनी में संनाटा पसरा हुआ है । जहां कभी दिन और रात गुलजार हुआ करती थी, वही आज छत विहीन जर्जर मकान, दरवाजे के सामने कूड़े की तरह पड़ी हुई मृतक सतीश की गृहस्थी, घर के दरवाजे पर बना मुर्गियों का खाली दरबा जिसमें सतीश की मुर्गियां रहा करतीं थीं, आज चीख चीख कर एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत के जिम्मेदारों का पता पूछ रही हैं ।

 

 

 

बाधित बिजली-पानी के कनेक्शन कैसे हुए बहाल ?

 

 

रेल अधिकारियों के मुताबिक पूर्व में फतेहअली रेलवे कालोनी के मकानों का मूल्यांकन करने के बाद चिन्हित कंडम मकानों में रह रहे लोगों को नोटिस जारी कर मकान खाली करने को कह दिया गया था । यही नहीं इन मकानों की बिजली और पानी की आपूर्ति भी रोक दिया गया, तो इन जर्जर मकानों की पानी और बिजली की सेवाएं फिर बहाल कैसे हुई ? सवाल उठता है कि जब इन जर्जर मकानों को रहने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया तब अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से क्यों नहीं लिया । जर्जर कंडम मकानो में रह रहे रेल कर्मियों के वेतन से मकान का किराया कैसे वसूला जा रहा था ।

 

 

 

पानी बिजली कटने के बाद भी कंडम मकानों में रहने को मजबूर हैं आवंटी :

 

 

रेल प्रसाशन अपनी करतूतों पर परदा डालने के लिये जहां दशकों से अवैध रूप में मकानों में रह रहे लोगों की गृहस्थी को बाहर निकाल कर दरवाजों में लगी कुण्डियों को वेल्डिंग कर सील्ड कर दिया वहीं वैध रूप से कंडम मकानों में रह रहे आवंटियों को मकान खाली की मोहलत देकर बिजली और पानी की सप्लाई काट दी गईं । इन सब के बावजूद भी कुछ आवंटी दूसरी जगह मकान न मिलने के कारण बिना बिजली पानी के आभाव में आज भी अपने परिवार संग इन्हीं कंडम मकानों में रहने के लिये मजबूर है ।

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