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जघन्य और चिन्हित अपराध मे हुई सजा, दूराचारी को 20 साल की सजा

 

पचोर ब्यूरो (खबर दृष्टिकोण)। जिला न्यायालय राजगढ में पदस्थ तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं विषेष न्यायाधीष पाॅक्सो एक्ट अब्दुल कदीर मंसूरी राजगढ ने अपने न्यायालय के सत्र प्रकरण क्रमांक 603/21 धारा 363, 366, 376(2)एन, भारतीय दण्ड संहिता एवं 5/6 पाॅक्सो एक्ट में फैसला सुनाते हुयेें अभियुक्त मोहर सिंह (परिवर्तित नाम) को धारा 363, 376(2)एन, भारतीय दण्ड संहिता एवं 5/6 पाॅक्सो एक्ट में 20-20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5,000/-रू के अर्थदण्ड से दण्डित किया है। इस प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी जिला लोक अभियोजन अधिकारी आलोक श्रीवास्तव राजगढ ने की है।

घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि पीडित बालिका उम्र 16 साल के पिता ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट थाना जीरापुर में दर्ज कराई, जिसके आधार पर थाना जीरापुर में अपराध क्र 406/21 धारा 363, भा.द.वि. की कायमी की गई। पीडित बालिका को करीब 1 सप्ताह बाद अभियुक्त मोहर सिंह के कब्जे से दस्तयाब किया गया। अभियुक्त मोहर सिंह के पीडित बालिका के साथ लगातार शारीरिक संबंध बनाने से पीडित बालिका उम्र 16 वर्ष गर्भवती हो गई थी।

पीडित बालिका से महिला उपनिरीक्षक श्रीमति सरिता मिश्रा के द्वारा सूक्ष्मता से पूछताछ की गई, तो पीडित बालिका ने बताया कि अभियुक्त उससे बोलता था कि मैं तुझे पसंद करता हूं और तुझ से शादी करना चाहता हूं। दिनांक 30.10.21 को दोपहर 12 बजे जब पीडित बालिका जंगल में बकरी चराने गई थी। तो अभियुक्त मोहर सिंह पीडित बालिका के पास आया और उससे कहा कि तुझे भाभी बुला रही हैं, और मेरे साथ चलो में तुझे भाभी के यहा छोड देता हूं। तब पीडित बालिका अभियुक्त मोहर सिंह के बोलेरो गाडी में बैठ गई। फिर अभियुक्त उसे जीरापुर के एक किराये के मकान में ले गया, और वहां रख कर उसके साथ जबरदस्ती बलात्कार किया। जब अभियुक्त को यह पता चला की उसके पिता ने रिपोर्ट की है तो वह उसे अपनी गाडी से जीरापुर बस स्टेंड छोड कर भाग गया। अनुसंधान के दौरान पीडित बालिका के न्यायालय के समक्ष कथन कराये गए। मेडिकल परीक्षण कराया गया। अनुसंधान पूर्ण होने उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय प्रस्तुत किया गया। प्रकरण में विचारण के दौरान प्रकरण में भारसाधक विशेष लोक अभियोजक आलोक श्रीवास्तव राजगढ द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष अभियोजन की ओर प्रकरण के महत्वपूर्ण 12 गवाहों के न्यायालय में कथन कराये और तर्क प्रस्तुत किये। विचारण उपरांत माननीय न्यायालय ने अभियुक्त मोहर सिंह (परिवर्तित नाम) को धारा 363 भा.द.वि. में 5 वर्ष का सश्रम कारावास एवं धारा 376(2)एन भा.द.वि. में 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं धारा 5एल/6 पाॅक्सो अधिनियम में 20 वर्ष का सश्रम कारावास और कुल 5000/-रू का अर्थदण्ड से दण्डित किया है। इस प्रकरण में अभियोजन के अथक प्रयासों से अभियोक्त्री को मध्यप्रदेश पीडित प्रतिकर योजना 2015 के तहत उचित रूपये क्षतिपूर्ती दिये जाने की भी अनुशंसा की है।

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