अपनी कार्यशैली की बदौलत मोहनलालगज से तीन बार रहे एमएलए।
मोहनलालगज के नगर पंचायत चुनाव में एक निर्दल प्रत्याशी को देखकर ग्रामीण अस्सी दशक के तीन बार रहे एमएल को याद कर उसकी चर्चा कर रहे है।वही निर्दल प्रत्याशी के मिलने जुलने के अंदाज सहित उसकी कार्यशैली को पूर्व एमलए से जोड़कर देख रहे है।यही वजह है कि निर्दल प्रत्याशी की गांव में महिलाएं बुर्जुर्ग भी सराहना कर रहे है।
नवगठित नगर पंचायत में भाजपा से टिकट की दावेदारी करने वाले प्रत्याशी को जब भाजपा ने टिकट नही दिया तो निर्दल प्रत्याशी के रूप में अंतिम दिन अपना पर्चा दाखिल कर प्रचार शुरू कर दिया।और पहले दिन से ही प्रचार में निकले निर्दल प्रत्याशी ने बिना जाति धर्म देखे ही गांव कस्बों की गलियों में महिला बुर्जुर्ग समेत बेटियों के एक तरफ से पैर छूकर आशीर्वाद मांगते नजर आना शुरू हुआ। पहले इस बात को ग्रामीणों ने चुनाव से जोड़कर देखते थे।बाद में लगातार प्रचार के दौरान अपने उसी अंदाज में लोगो से मिलने का सिलसिला जारी रखा तो मोहनलालगज के बुजुर्गों ने कहना शुरू किया कि अस्सी के दशक में एक एमएलए का चुनाव लड़ने के लिये क्षेत्रीय नेता आये थे। और पूरे प्रचार से लेकर एमएलए बनने के बाद भी अपने अंदाज और कार्यशैली को बरकरार रखा था।यही वजह रही की मोहनलालगज विधानसभा से तीन बार एमएलए और कैबिनेट मंत्री तक रहे।
चंद दिनों में अपनी कार्यशैली से पा ली लोकप्रियता——
मोहनलालगज के नगर पंचायत के पहले चेयरमैन बनने के लिये पहली बार राजनीति में कूदने वाले निर्दल प्रत्याशी के बारे में ग्रामीण कहते है जीत हार अलग बात है पर जिस तरह से चंद दिनों में अपनी कार्यशैली से निर्दल प्रत्याशी ने लोगो का दिल जीत लिया है।उससे यही लगता है कि निर्दल युवा प्रत्याशी राजनीति में बहुत आगे जायेगा।