गोण्डा। एक तरफ प्रदेश में महिलाओं,बालिकाओं के साथ घट रही घटनाओं को लेकर सरकार महिला सुरक्षा पर काफी गंभीर होने के दावे कर रही है और इसके लिए प्रदेश के सभी थानो पर टीम गठित की गई है। जो प्रतिदिन महिलाओं व बालिकाओं को अपनी सुरक्षा व अपराधियों से बचाव सहित अन्य लोक लुभावन जाल से बचने का उपाय बता रही हैं। लेकिन दूसरी तरफ वही पुलिस बालिकाओं व महिलाओं के साथ घटने वाली घटना पर पर्दा डालकर अपराधियों को बचाने का प्रयास करती नजर आ रही है। जिसका उदाहरण थाना परसपुर अन्तर्गत एक नाबालिग बालिका के साथ घटित हुई घटना से देखने को मिला है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक किशोरी की मां ने बीते 8 नवंबर को प्रदेश के मुख्यमंत्री को प्रार्थना पत्र देकर न्याय किये जाने की गुहार लगाई थी। महिला का आरोप था कि बीते 7 नवंबर की रात्रि गांव का ही एक युवक अपने परिवार के लोगों की शह पर उसकी नाबालिग पुत्री को बहला-फुसलाकर कहीं लेकर चला गया है। उसके घर वह शिकायत करने पहुंची तो घर वालों ने उसे भला-बुरा कहते हुए दरवाजे से भगा दिया। उसने थाने पर तहरीर दिया मगर पुलिस ने कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की।पीड़िता के पुत्र के अनुसार बुधवार को पीड़िता को थाने पर बुलाया गया, जहां आरोपी युवक के साथ उसकी पुत्री भी मौजूद थी। पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध कार्रवाई करने के बजाय पीड़ित महिला से सुलहनामा पर अंगूठा लगवाकर उसे भगा दिया गया। उसके बाद पुलिस ने आरोपी युवक के साथ उसकी पुत्री को भी भेज दिया और गुरुवार को 9 नवंबर की घटना दिखाकर युवक सहित चार लोगों के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत कर लिया। इस संबंध में परसपुर प्रभारी निरीक्षक संतोष सरोज ने बताया कि पीड़ित महिला की तहरीर पर चार आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। ज़बकि बुधवार को उन्होंने घटना संज्ञान में होने की बात कहते हुए तहरीर न मिलने की बात कही थी। इससे पुलिसिया कार्यशैली गंभीर सवालिया घेरे में है।