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सुहागिनों ने करवा चौथ व्रत रख पतियों के लिए की दुर्घायु होने की कामना

 

 

(झांसी)हर सुहागिन महिला की यह चाहत होती है कि उसका पति दीर्घायु हो जिसके लिए पत्नियां करवा चौथ का व्रत रखकर अपने पतियों की दीर्घायु की कामना चन्द्र देवता से करवा चौथ के दिन करती हैं सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की रक्षार्थ इस व्रत का सतत पालन करती हैं जिसे पूरे देश मे मनाया जाता है इस व्रत को हर जाति वर्ण सम्प्रदाय की शोभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है जो सुहागिन स्त्रियां अपने पति की आयु स्वास्थ्य व शोभाग्य की कामना करती हैं वह करवा चौथ का व्रत रखती है इस व्रत के बिधान में बालू अथवा सफेद मिट्टी की बेदी पर शिव पार्वती कार्तिकेय गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करती है इसके पश्चात यथा शक्ति देवों का पूजन करती हैं करवों में लड्डू का नैवैद्य अर्पित करती हैं एक लोटा एक बस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिण के रूप में चन्द्र भगवान को अर्ग अर्पित कर पूजन समापन करती हैं शास्त्रों के अनुसार दुर्घायु के लिए भाल चन्द्र गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है दिन भर व्रत के उपरांत अर्ग देकर ही जल एवं भोजन ग्रहण करने का बिधान है इस व्रत के सम्बंध में एक कथा प्रचलित है कि प्राचीन काल मे एक व्राह्मण था उसके चार लड़के एवं एक गुणवती लड़की थी एकवार लड़की मायके में थी तब करवा चौथ का व्रत पड़ा उसने व्रत को पूरे दिन निर्झला रहकर बिधि पूर्वक किया उसने दिन भर कुछ खाया पिया नहीं जिस पर उसके चारों भाई परेशान थे कि बहिन को प्यास लगी होगी और वह भूखी भी होगी परन्तु बहिन चन्द्र उदय के बाद ही जल ग्रहण करेगी जिस पर भाइयों से रहा न गया और उन्होंने शाम होते ही बहिन को बनावटी चन्द्र उदय दिखा दिया जिसमें एक भाई पीपल के पेड़ पर छलनी लेकर चढ़ गया और दीपक जलाकर झलनी से रोशनी उतपन्न कर दी तभी दूसरे भाई ने नीचे से बहिन को आवाज दी देखों बहिना चन्द्रमा निकल आया है और बोला जल्दी से पूजन कर भोजन ग्रहण करो बहिन ने पूजन कर भोजन ग्रहण कर लिया भोजन ग्रहण करते ही उसके पति की मृत्यु हो गयी अब वह दुखी होकर विलाप करने लगी तभी वहां से रानी इंद्राणी निकल रहीं थी उनसे उसका दुख न देखा गया ब्राह्मण कन्या ने उनके पैर पकड़ लिए और अपने दुख का कारण पूंछा तब इंद्राणी ने बताया कि तुमने बिना चन्द्र दर्शन किये करवा चौथ का व्रत तोड़ दिया है इसी कारण यह कष्ट मिला है अब तूं बर्ष भर की चौथ का व्रत नियम पूर्वक करना तो तेरा पति जीवित हो जायेगा उसने इंद्राणी के कहे अनुसार चौथ व्रत किये तो पुनः शोभाग्यवती हो गयी द्रोपदी ने भी यह व्रत किया था इसी कारण हर हिन्दू महिला अपने अखंड सुहाग के लिए करवा चौथ व्रत करती है यह भी कहा जाता है कि यदि कोई मनुष्य छल कपट अहंकार लोभ लालच को त्यागकर श्रद्धा और भक्ति भाव पूर्वक चतुर्थी का व्रत पूर्ण करता है तो वह व्यक्ति जीवन मे सभी प्रकार के दुखों व क्लेशों से मुक्त हो जाता है और सुखमय जीबन व्यतीत करता है।

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