रिपोर्ट मो०अहमद चुनई
पुरवा- उन्नाव कहां चले गये किसानों से भूषा वसूलने वाले कोटेदार व ठेकेदार टनों मनों के हिसाब से बेजुबान गौवंसों के नाम पर वसूला गया भूषा ग्राम प्रधानों व कोटेदारों तथा खन्ड बिकाश अधिकारियों ने किसानों से वसूला पर कहां चला गया बेजुबान गौवंसों का भोजन क्या गौवंसों के नाम पर वसूला गया भूषा भी खागये यह इन्सान रोपी,,,,,,,,,,,,,,,।
बताते चलें कि पुरवा नगर पंचायत में प्रदेश सरकार के मुखिया ने पिछले कार्यकाल में एक करोड़ से अपर रुपया दिया था कान्हा गौसाला बनवाने के नाम पर जिसमें चार वर्षों से अधिक समय बीत जाने के बाद भी आज तक वह कान्हा गौसाला अधूरा पड़ा है कया कारण है कि अभी तक कान्हा गौसाला का कार्य पूरा नही हुआ और एक भी गौवसं कान्हा गौसाला में नही है कहां गया वह करोड़ों रुपया कहां चले गये वह खद्दरधारी जो चुनाव के दौरान अदालत की तरह तारीख पर तारीख मन्चों से बताने में कोई मौका नही गवाते थे कि फला तारीख को सड़क पर एक भी गौवसं नजर नही आयगा पर नतीजा शून्य वही अगर देखा जाय तो गौवंश वर्तमान समय में किसान और सरकार दोनों की गले की फांस बनते जा रहे हैं। सरकार के पास अन्ना जानवरों को पूरी तरीके से सुरक्षित करने की कोई ठोस नीति धरातल पर नहीं नजर आ रही है। ग्राम पंचायतों और नगर पंचायतों में गौशालाओं का निर्माण संचालन की व्यवस्था तो सरकार ने बड़े पैमाने पर की किंतु धरातल पर उनका असर बेअसर साबित नजर आरहा है। जितने जानवर गौशालाओं में बंद है। उनसे दस गुना जानवर तो खेत और सड़कों पर नजर आते है। जिन ग्राम पंचायतों में गौशाला संचालित हैं। उन ग्राम पंचायत के प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी कहते हैं कि गौशालाओं की जितनी क्षमता है उससे अधिक जानवर तो पहले से ही बंद है। वही ग्राम प्रधानों का कहना है कि गौशाला में जानवरों के रखरखाव के लिए जो खर्च आता है वह महंगाई के हिसाब से बहुत कम है । इतने कम पैसे में जानवरों को चारा खिलाना और रख रखाव करना बड़ा मुश्किल हो जाता है । उसके बाद दूसरी समस्या यह आती है कि कई कई महीने पैसा ही नहीं आता जिससे गौशाला संचालित करने में कठिनाई आती है और शायद इसी का परिणाम है कि अन्ना मवेसियों का झुन्ड फसलों को नष्ट करते दिखाई पड़ते हैं। आलम यह है कि अन्ना मवेसी दिन में तो खेतों पर अपना कब्जा जमाए रहते हैं ।और शाम होते ही खेतों से निकलकर सड़क पर व खाली पड़े प्लाटो पर इनका आशियाना बन जाता है। जिससे राहगीरों का चलना तो दुश्वार होता ही है, दुर्घटनाएं भी अक्सर हो जाती हैं। जिससे अब तक कई लोगों की जान भी जा चुकी है। वहीं
अन्ना मवेसियों के द्वारा फसल को नष्ट किए जाने से परेशान पुरवा तहसील के किसान सतीश कुमार मिश्रा निवासी ग्राम कंचन पुर ने उप जिलाधिकारी पुरवा को प्रार्थना पत्र देते हुए गुहार लगाई। साहब मेरी फसल को बचा लो। लगभग 70 जानवर मेरे खेतों में आ जाते हैं और फसल को नष्ट करते हैं ।अगर फसल बर्बाद हो गई तो मै अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करूंगा। मेरे पास जान देने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचेगा। अब देखना यह होगा कि ऐसी परिस्थितियों में अधिकारी और सरकार किसानों की फसल को बर्बाद होने से कैसे रोकते हैं ?