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तियानमेन स्क्वायर नरसंहार: आज तियानमेन स्क्वायर नरसंहार की 33वीं बरसी, चीन ने निहत्थे छात्रों को दिए थे टैंक

बीजिंग: चीन ने आज से 33 साल पहले हुए आंदोलन को कुचलने के लिए हजारों निहत्थे छात्रों पर टैंक लगाए थे। पीएलए की इस कार्रवाई में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इशारे पर 10 हजार से ज्यादा छात्र मारे गए। ऐसा कहा जाता है कि ये छात्र जून 1989 में बीजिंग के तियानमेन स्क्वायर में लोकतंत्र की बहाली के समर्थन में एकत्र हुए थे। आज से 3 साल पहले सार्वजनिक किए गए एक ब्रिटिश खुफिया राजनयिक दस्तावेज में इस घटना के क्षण का उल्लेख है।

तियानमेन स्क्वायर नरसंहार के समय चीन की राजधानी बीजिंग में तैनात तत्कालीन ब्रिटिश राजदूत एलन डोनाल्ड ने घटना की पूरी जानकारी देते हुए लंदन को एक पत्र भेजा था। पत्र में उन्होंने लिखा था कि इस घटना में कम से कम 10 हजार लोग मारे गए थे। यह पत्र ब्रिटेन के राष्ट्रीय अभिलेखागार में रखा गया है। चीन में इस घटना की रिपोर्टिंग भी उस समय चीन से बड़े पैमाने पर सेंसर की गई थी। चीन में अभी भी इस घटना की रिपोर्टिंग पर सख्त पाबंदी है।

क्या थी तियानमेन चौक की पूरी घटना
जून 1989 में, लाखों लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता बीजिंग के तियानमेन स्क्वायर में एकत्र हुए। इसमें बड़ी संख्या में छात्र व मजदूर भी शामिल थे। ये विरोध कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व महासचिव और सुधारवादी हू याओबांग की मृत्यु के बाद शुरू हुआ। हू याओबांग को तत्कालीन चीनी सरकार ने राजनीतिक और आर्थिक नीतियों में विरोध के कारण पद से हटा दिया था। जिसके बाद उसकी हत्या कर दी गई।

लोगों को टैंकों और राइफलों से निशाना बनाया गया
छह सप्ताह तक चले इस प्रदर्शन को कुचलने के लिए तीन-चार जून को चीनी सेना ने शांतिपूर्ण विरोध कर रहे निहत्थे नागरिकों पर बंदूकें और टैंक दागे। इस कार्रवाई में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी मारे गए। इस दौरान एक चीनी सेना के टैंक को रोकने की कोशिश कर रहे एक युवक की तस्वीर प्रकाशित होने के बाद यह जगह पूरी दुनिया में मशहूर हो गई।

Source-Agency News

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