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अवैध ईंट भट्ठो के संचालन पर  रोक लगेगी या  प्रदूषण  सेंस की होगी वसूली

 

 

 

उच्च न्यायालय के और मुख्यमंत्री उप्र के सख्त दिशानिर्देश अधिकारियों के लिए क्या नहीं रखते मायने

 

 

 

 

 

 

अजय सिंह

सीतापुर।आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?अवैध भट्ठो पर कार्यवाही एसडीएम लहरपुर पीएल मौर्या ने दिखावा किया अवैध ईंट भट्ठे संचालित रहना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं?या बुलडोजर नाम का खौफ इन अवैध तरह से भट्ठा मालिकों के दिमाग से निकल चुका है या अधिकारीयों की मिली भगत है।जो हो,समझ से परे है क्योंकि जिस तरह से उपजिलाधिकारी लहरपुर ने ईंट भट्ठो पर कार्यवाही की नाकामी का सबूत है चिमनियों से निकलता धुवें का गुबार इसे साबित करता है,तो दूसरी तरफ उच्च न्यायालय के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिया गया निर्देश का पालन भी नहीं हो रहा।बताते चलें  की माननीय उच्च न्यायालय की इलाहाबाद मुख्य  बेंच सुमित सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार की  जनहित 20773/2014 निर्देशित किया था की ऐसे ईंट भट्ठों को तत्काल चिन्हित कर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड संचालन पर रोक लगाए।इसकी जानकारी आधिकारिक बेवसाइट पर उपलब्ध कराए।परंतु ऐसा देखने से प्रतीत नहीं हो रहा की ऐसी कोई रोक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा लगाई गई हो या स्थानीय प्रशासन के द्वारा कोई गंभीरता पूर्ण कार्यवाही की गयी हो।जबकि बताते हैं की की इस तरह से संचालित ईंट भट्ठो पर प्रतिदिवस के हिसाब से प्रदूषण सेंस 6000₹करीबन लगाने का प्राविधान है।जिससे की इस प्रक्रिया को अगर अपनाया जाए तो प्रदेश सरकार के खजाने में राजस्व की वसूली हो सकती है।परंतु चर्चा है की प्रदूषण विभाग और स्थानीय प्रशासन की ईंट भट्ठा मालिकों से जुगलबंदी न तो अवैध  ईंट भट्ठो को संचालित होने से रोक पा रही है न ही प्रदूषण सेंस लगाकर सरकार के खजाने दिया जा रहा है।यह प्रशासनिक अधिकारियों और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दोनों की ईंट भट्ठो से वसूली की बातें चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं।ऐसा नहीं है तो कार्यवाही का दिखावा तहसील प्रशासन द्वारा क्यों किया गया।बताते चलें पीछे लगभग तीन माह से अवैध ईंट भट्ठे संचालित बताए जा रहे हैं,जो अभी कुछ माह और जारी रहेंगे,परंतु प्रशासनिक कार्यवाही हो या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड चुप्पी साधे हुए हैं।अगर तीन माह के हिसाब से अगर प्रदूषण सेंस लगाया जाए तो 6000₹अगर प्रदूषण सेंस है तो अवैध ईंट भट्ठों प्रदूषण सेंस लगाकर लगभग दो दर्जन ईंट भट्ठा लहरपुर इलाके में संचालित हैं इनसे वसूली रकम करोड़ों में हो सकती है,अगर प्रदूषण सेंस वसूला जाए तो सरकार की आमदनी का जरिया बन सकता है।ऐसी बातें हो रही हैं और परंतु क्या प्रदूषण सेंस लगाया जाएगा प्रदूषण विभाग और प्रशासन की जुगलबंदी की चर्चा होती रहेगी,या महज बुलडोजर दिखाकर कच्ची ईंटे तोड़ने तक ही स्थानीय तहसील प्रशासन कार्यवाही करेगा,जो हो रहा है उससे यह साफ है की प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हो या तहसील प्रशासन या फिर जिनके स्तर से इन अवैध ईंट भट्ठो पर कार्यवाही हो सकती है,गांधी छाप नोटों की मलाई काट चुके हैं,जो हर ओर से यही लग रहा है कार्यवाही दिखावे की हो रही है,नोटों की मलाई के आगे सख्त मुख्यमंत्री योगी के निर्देश भी प्रशासन में बैठे अधिकारियों के लिए कुछ मायने नहीं रखते।….क्रमशः

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