ग्लासगो
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जो जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए पेरिस समझौते की “भावना” में “सचमुच” काम कर रहा है। ब्रिटेन के ग्लासगो में यूएन सीओपी-26 राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों के सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए मोदी ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।
जीवनशैली में बदलाव का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि पर्यावरण के प्रति संवेदनशील जीवनशैली जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए दीर्घकालिक समाधान हो सकती है। प्रधानमंत्री ने ‘इको-फ्रेंडली लाइफस्टाइल’ को वैश्विक मिशन बनाने का आह्वान किया। मोदी ने दोहराया कि विकसित देशों को जलवायु वित्तपोषण के लिए एक ट्रिलियन डॉलर प्रदान करने के अपने वादे को पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जलवायु शमन की तरह ही इसकी निगरानी की जानी चाहिए।
वादे पूरे नहीं करने वाले देशों पर दबाव बनाना चाहिए
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि विकसित देश जल्द से जल्द जलवायु वित्त पोषण के लिए एक ट्रिलियन डॉलर उपलब्ध कराएंगे। जैसा कि हम जलवायु शमन की निगरानी करते हैं, हमें उसी तरह जलवायु वित्तपोषण की निगरानी करनी चाहिए। सही मायने में न्याय तभी मिलेगा जब उन देशों पर दबाव डाला जाएगा जो अपने जलवायु वित्तपोषण के वादों को पूरा नहीं कर रहे हैं।
कार्बन उत्सर्जन में 17 प्रतिशत जनसंख्या का योगदान मात्र पाँच प्रतिशत है।
प्रधान मंत्री ने कहा, भारत 2070 तक शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है, 2030 तक जीवाश्म ईंधन के उपयोग को काफी कम करेगा और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि भारत 2030 तक अनुमानित उत्सर्जन से कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी करेगा, भारत कार्बन की तीव्रता में 45 प्रतिशत की कटौती करेगा। प्रधान मंत्री ने कहा, “भारत दुनिया की आबादी का 17 प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन कार्बन उत्सर्जन में केवल पांच प्रतिशत का योगदान देता है।”
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पीएम मोदी ने COP26 को संबोधित किया
Source-Agency News
