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जानलेवा कश्मीरी पाउडर बनाने वाले पिता-पुत्र भेजे गए जेल

 

कानपुर: कश्मीरी मिर्च की आड़ में धान की भूसी और रासायनिक रंग मिलाकर कश्मीरी पाउडर बनाने वाले यशोदानगर निवासी पिता-पुत्र को पुलिस ने गिरफ्तार कर शुक्रवार को मुख्य महानगर न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में पेश किया। न्यायालय ने आरोपितों को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया। पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी और मिलावट जैसी गंभीर धाराएं प्रयोग की हैं।यशोदानगर में महाराजा कश्मीरी पाउडर और स्वास्तिक कश्मीरी पाउडर बनाया जा रहा था। कहने के लिए तो इसके पैकेट पर अखाद्य लिखा था और कश्मीरी मिर्च का जिक्र नहीं किया गया था, लेकिन इस पाउडर का उपयोग होटलों में और फिगर चिप्स आदि बनाने में बड़े पैमाने पर हो रहा है। अखाद्य और कश्मीरी मिर्च न लिखने के पीछे कारोबारी अविनाश कुमार गुप्ता और उनके बेटे शरद की बड़ी चाल थी। गुरुवार को जब खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की टीम ने फैक्ट्री में छापा मारकर कश्मीरी पाउडर को पकड़ा तो उन्होंने पहले यही कहा कि यह कश्मीरी मिर्च नहीं है और न ही इसका उपयोग खाने में होता है। पैकेट पर पहले से ही उन्होंने लिख रखा है कि यह अखाद्य है, लेकिन अभिहित अधिकारी विजय प्रताप सिंह और मुख्य खाद्य अधिकारी संजय कुमार सिंह द्वारा जब लगातार पूछताछ की गई तो वे टूट गए थे और स्वीकार कर लिया था कि उनके द्वारा धान की भूसी और कलर मिलाकर यह पाउडर बनाया जाता है और कश्मीरी मिर्च के नाम पर ही इसे वे बेचते हैं। मामले में मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने नौबस्ता थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने मौके से ही पिता-पुत्र को गिरफ्तार किया था। शुक्रवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट शैलेंद्र यादव ने उन्हें न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया।अभिहित अधिकारी विजय प्रताप सिंह ने बताया कि फैक्ट्री से महराजगंज, अंबेडकरनगर, गोरखपुर, रामपुर, मुरादाबाद आदि जिलों में आपूर्ति के कागजात मिले हैं। हर जिले में पाउडर की बिक्री रोकने के लिए आयुक्त को पत्र भेज दिया है। वहीं खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के अभिहित अधिकारी ने विभाग के आयुक्त को पत्र लिखकर महाराजा कश्मीरी पाउडर और स्वास्तिक कस्तूरी पाउडर की बिक्री की रोकथाम के लिए हर जिले में अभियान चलाने की संस्तुति की है। उन्होंने कुछ जिलों के स्टाकिस्टों के नाम भी बताएं हैं जिनके यहां थोक में माल भेजा गया है।पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ आइपीसी की धारा 420, 468, 469, 471, 272 व 273 में मुकदमा दर्ज कराया गया है। इनमें आरोपितों को दोषी पाए जाने पर आजीवन कारवास तक हो सकता है।धारा 468, 469, 471: फर्जी दस्तावेज तैयार करना, धोखाधड़ी के लिए प्रयोग और सही दस्तावेज बनाकर उनका प्रयोग करना। इन धाराओं में दोषी पाए जाने पर सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक सजा हो सकती है। जुर्माना भी हो सकता है।धारा 272, 273: खाद्य पदार्थों में मिलावट। दोषी पाए जाने पर कम से कम छह महीने की सजा जो कि आजीवन कारावास तक हो सकती है।

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