लखनऊ, । कानपुर के पूर्व मंडलायुक्त व उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम (रोडवेज) के चेयरमैन मु.इफ्तिखारुद्दीन के वायरल विवादास्पद वीडियो उनके सरकारी आवास के ही हैं। एसआइटी (विशेष जांच दल) की पूछताछ में आइएएस इफ्तिखारुद्दीन ने वीडियो उनके कानपुर मंडलायुक्त आवास के ही होने की बात स्वीकार की है। यह भी कहा है कि यह वीडियो रमजान के हैं। सूत्रों का कहना है कि पूछताछ के दौरान वह मतांतरण संबंधी कोई बात करने से बार-बार इन्कार करते रहे। एसआइटी वायरल वीडियो में कही जा रही धार्मिक बातों का परीक्षण आल इंडिया सर्विस कंडक्ट रूल्स के अनुरूप भी कर रही है। जल्द एसआइटी अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपने की तैयारी में है।डीजी सीबीसीआइडी जीएल मीणा की अध्यक्षता में गठित दो सदस्यीय एसआइटी ने बुधवार को आइएएस इफ्तिखारुद्दीन से लंबी पूछताछ की थी। इसके बाद गुरुवार शाम करीब चार बजे उनसे पूछताछ का सिलसिला शुरू हुआ। इफ्तिखारुद्दीन की पत्नी व परिवार के दो अन्य सदस्य भी उनके साथ सीबीसीआइडी मुख्यालय पहुंचे थे। एसआइटी में शामिल एडीजी कानपुर जोन भानु भाष्कर ने इफ्तिखारुद्दीन से वायरल वीडियो व उनकी किताबों को लेकर सिलसिलेवार पूछताछ की है। खासकर यह जानने का प्रयास किया गया कि वीडियो में नजर आ रहे अन्य लोग कौन हैं और उनका इफ्तिखारुद्दीन से कबसे जुड़ाव है। कानपुर मंडलायुक्त के सरकारी आवास पर हुए धार्मिक आयोजन में किस तरह की बातें की गई थीं।दूसरी ओर एक वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी का कहना है कि आचरण सेवा नियमावली के अनुसार किसी धर्म को माननेे अथवा कोई धार्मिक आयोजन करने पर कोई पाबंदी नहीं है। लेकिन, एक लोकसेवक को पद पर रहते हुए किसी धर्म विशेष का प्रचार-प्रसार करना अथवा किसी धर्म विशेष के आयोजन में जाकर कोई भाषण देने की अनुमति नहीं है। एक अन्य अधिकारी कहते हैं कि यदि कोई लोकसेवक किसी धर्म के विरुद्ध कोई बात कहता है अथवा लिखता है तो वह कृत्य नियमावली के तहत दंडनीय है। इफ्तिखारुद्दीन 17 फरवरी 2014 से 22 अप्रैल 2017 तक कानपुर के मंडलायुक्त के पद पर तैनात रहे थे।एसआइटी यह भी देख रही है कि इफ्तिखारुद्दीन ने अपनी किताबों में किस तरह की धार्मिक बातों को लिखा है। आइएएस सेवा में रहते इन किताबों के प्रकाशन को लेकर कोई अनुमति ली गई थी अथवा नहीं।
