जिनेवा
ऑफ इंडिया-बायोटेक कोवैक्सिन इसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का फैसला अगले हफ्ते आने वाला है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि आपातकालीन उपयोग के लिए कोवैक्सिन को मंजूरी दी जाए या नहीं, यह तय करने के लिए विशेषज्ञों के एक स्वतंत्र समूह के साथ अगले सप्ताह एक बैठक होगी।
डब्ल्यूएचओ ने ट्वीट किया कि कोवैक्सिन निर्माता भारत बायोटेक विश्व स्वास्थ्य संगठन को किसी समय बहुत कम डेटा प्रदान कर रहा है। डब्ल्यूएचओ के अनुरोध पर 27 सितंबर को अतिरिक्त जानकारी दी गई है। इस जानकारी की समीक्षा डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ कर रहे हैं और अगर वैक्सीन से जुड़े सभी सवालों के जवाब मिल जाते हैं तो संगठन अगले हफ्ते अपना फैसला करेगा।
WHO को दिया गया डेटा
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोविशील्ड वैक्सीन भारत में व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली दो वैक्सीन हैं। भारत बायोटेक ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि उसने आपातकालीन उपयोग सूची (ईयूएल) के लिए वैक्सीन से संबंधित सभी डेटा डब्ल्यूएचओ को सौंप दिया है और अब वैश्विक स्वास्थ्य संगठन की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा है।
यह कैसे काम करता है?
Covaxin में निष्क्रिय SARS-CoV-2 वायरस का उपयोग किया गया है। इस वैक्सीन को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने मिलकर बनाया है। इस रणनीति का पहले ही उपयोग किया जा चुका है, जैसे कि मौसमी इन्फ्लूएंजा के टीके में। इसमें निष्क्रिय बैक्टीरिया का भी उपयोग किया जाता है।
क्या फायदा है?
इसका सबसे बड़ा फायदा यह हो सकता है कि यह न केवल SARS-CoV-2 के स्पाइक प्रोटीन को पहचानने के बाद एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है, बल्कि वायरस के अन्य भागों के आधार पर भी पहचान कर सकता है। हालांकि, निष्क्रिय टीके भी शुरू में कम प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करते हैं। इसलिए हो सकता है कि इससे भी ज्यादा खुराक की जरूरत हो।
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प्रतीकात्मक तस्वीर
Source-Agency News