खबर दृष्टिकोण समीर खान
लखनऊ । लखनऊ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने मांग की है कि निजीकरण के लिए नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट का झूठा शपथ पत्र देने और फर्जी प्रमाणित हो जाने के बाद कंसल्टेंट की नियुक्ति का आदेश तत्काल निरस्त किया जाए। इस बीच जन जागरण पखवाड़ा के तहत ज्ञापन दो अभियान और विरोध सभाओं का क्रम सारे प्रदेश में जारी रहा। लखनऊ में संसद सदस्य और पूर्व उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा,विधान परिषद के सदस्यों अवनीश सिंह,पवन सिंह चौहान को संघर्ष समिति ने निजीकरण के विरोध में ज्ञापन दिया।अन्य जनपदों में विधायक दुर्गा प्रसाद यादव, नफीस अहमद और हरि ओम पांडेय को निजीकरण के विरोध में ज्ञापन दिया गया।संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के लिए अवैध ढंग से नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन का झूठा शपथ पत्र और फ्राड प्रमाणित होने के बाद कंसल्टेंट की नियुक्ति का आदेश तत्काल रद्द किया जाय। उन्होंने कहा कि कंसल्टेंट से यह पूछा गया था कि उनके ऊपर विगत तीन वर्षों में कोई पेनाल्टी लगी है तो कंसल्टेंट ने फरवरी में दिए गए शपथ पत्र में कहा था कि उनके ऊपर कोई पेनल्टी नहीं लगी है किंतु कंसलटेंट ने कल स्वीकार कर लिया है कि उनके ऊपर अमेरिका में 40000 डॉलर की पेनाल्टी लगी थी। यह अत्यधिक गंभीर मामला है और निजीकरण हेतु नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट का फ्रॉड सामने आया है।संघर्ष समिति ने कहा कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की सरकार है किंतु पता नहीं क्यों पावर कारपोरेशन का प्रबंध 42 जनपदों के निजीकरण में भ्रष्ट तरीके अपना रहा है और एक फ्रॉड कंपनी को कंसलटेंट नियुक्त कर लिया है जिनका नियुक्ति आदेश फ्रॉड प्रमाणित होने के बावजूद भी रद्द नहीं किया जा रहा है। संघर्ष समिति इस फ्रॉड को सभी जनप्रतिनिधियों के सामने रखेगी और इसके विरोध में लगातार अभियान चलाया जाएगा।



