ख़बर दृष्टिकोंण:- जावेद खान
मोहम्मदी खीरी:- जी हाँ आज हम बात ग्राम पंचायत करौंदा की करने जा रहे हैं यू तो ग्राम पंचायत में प्रधान का रोल जनता के प्रति बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को लेकर होता है इससे पूर्व में जिनके पास ग्राम पंचायत का कार्यभार रहा सराहनीय था आवास व शौचालय से लगाकर खड़ंजा या फिर मनरेगा के काम रहा हो सुचारू रूप से हुआ लेकिन इस बार बिगत वर्ष की अपेक्षा जनता का काम न के बराबर देखने को मिला है और काम हो भी कैसे प्रधान को नेताओं से फुर्सत नही मिलती तो जनता को कौन देखे,हाँ अगर अवैध रूप से से कब्जा करने की बारी हो तो प्रधान आपकी सेवा में हाजिर हो जाएंगे बहरहाल ग्राम प्रधान के द्वारा कई ऐसे आवास जो पिछली प्रधानी में पास हुए उनके आवास तक नही दिए और तो और जो पात्र हैं उनके काम सिर्फ इसलिए नही किए गए वो उनके दरवाजे रोजाना हाजरी जो नही देते मसला साफ है पार्टिबन्दी के चलते उनके कामो को तवज्जो नही दिया,हाल ही में इंटरलॉकिंग पास रोड पर इंटरलॉकिंग न करते हुए उसपर काम करवाया गया जोकि कागजों में पास नही थी इसमे सिकरेटरी का अहम रोल भी सम्मिलित है क्योंकि कुछ ऐसी सड़के जिनका चौड़ीकरण होना था जो नही किया ,इंटरलॉकिंग जहाँ होनी थी नही हुई,पत्रों के आवास व शौचालयों का निर्माण कार्य हो,ये सारी चीजें ग्राम पंचायत में देखने को मिलेंगी सबसे बड़ी बात जनता के समकक्ष जो संघोसठि का आयोजन होना होता है वो भी नही अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकते नजर आते है प्रधान साउथ फिल्मों की तरह एक्टिंग करने में माहिर,अपने कुनबे के लोगों को बैठाल कर मीटिंग के फोटो क्लिक करके भेज देते हैं यदि कोई भी ग्राम पंचायत का मीटिंग सम्बंधित जानकारी प्राप्त करना चाहता है तो मीटिंग समाप्त,वाह रे ग्राम पंचायत के रहबर और इन सब चीजों में कहीं न कहीं प्रधान के साथ साथ सिकरेटरी व अन्य अधिकारियों की मिलीभगत सम्मलित रहती है अब ऐसे में ग्राम पंचायत का भला नामुमकिन ही होगा।