खबर दृष्टिकोण
ब्यूरो रिपोर्ट
सीतापुर । उप कृषि निदेशक ने बताया कि भारत सरकार की एग्रीस्टैक परियोजनार्न्तगत सभी ग्रामों की जियो-रिफरेन्स मैप तैयार करने तथा डिजिटल क्राप सर्वे के माध्यम से बोई गयी फसलों के ऑनलाइन रिकार्ड को मेनटेन करने के उपरान्त अब फार्मर रजिस्ट्री कार्यक्रम का प्रारम्भ किया गया है। फार्मर रजिस्ट्री कार्यक्रम के अर्न्तगत समस्त किसानों की सभी भूमियों के रिकार्ड को आधार से लिंक कर दिया जायेगा, जिसके उपरान्त किसानों का एक फार्मर आईडी युक्त गोल्डन कार्ड बनाया जायेगा। इस गोल्डन कार्ड,फार्मर आईडी के आधार पर किसानों को विभिन्न विभागों की योजनाओं से लाभान्वित करना अत्यन्त सरल एवं सुलभ हो जायेगा, चाहें वह किसान क्रेडिट कार्ड के अर्न्तगत ऋण स्वीकृति हो अथवा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अर्न्तगत क्षतिपूर्ति का आंकलन एवं भुगतान, इसमें अब अधिक समय नहीं लगेगा। इसके साथ ही किसानों द्वारा विभिन्न योजनाओं में बार-बार तहसील जाकर खतौनी की प्रमाणित प्रति की आवश्यकता भी नहीं रहेगी, क्योंकि फार्मर आईडी,गोल्डन कार्ड की सहायता से किसानों का विवरण कभी भी एवं कहीं भी प्रमाणित किया जा सकेगा। फार्मर रजिस्ट्री से भूमियों के हेर-फेर और जालसाजी सम्बन्धी मामलों की भी लगभग समाप्ति हो जायेगी। उप कृषि निदेशक, सीतापुर द्वारा बताया गया कि फार्मर रजिस्ट्री का कार्य एक लेखपाल तथा एक कृषि, पंचायत, ग्राम्य विकास, आदि के कर्मचारी की दो सदस्यीय टीम द्वारा 8 अगस्त 24 तक गांव में कैम्प लगाकर निःशुल्क किया जायेगा, इसके लिये तहसीलवार कार्य योजना तैयार की गयी है। किसानों से अपील है कि आपके गांव में लगने वाले कैम्प में अपने आधार कार्ड, आधार कार्ड से लिंक मोबाइल एवं खतौनी की छायाप्रति के साथ उपस्थित होकर फार्मर रजिस्ट्री में अपना नाम निःशुल्क दर्ज करा लें। 8 अगस्त 24 के बाद किसानों को फार्मर रजिस्ट्री का कार्य स्वयं अथवा जन सुविधा केन्द्रों के माध्यम से कराना होगा। पीएम किसान सम्मान निधि योजना की दिसम्बर माह में देय 19वीं किस्त का लाभ केवल उन्हीं किसानों को प्राप्त होगा, जिन्होंने फार्मर रजिस्ट्री करा ली है।