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पीड़ित पत्रकार ने परिवार सहित इच्छा मृत्यु की माँग की 

 

 

प्रेस प्रभाग का मायाजाल, शिशिर का फर्जी आदेश बना पत्रकार के पूरे परिवार की इच्छा मृत्यु का कारक

 

ख़बर दृष्टिकोण लखनऊ

 

 

सामाजिक कार्यकर्ता, आरटीआई एक्टिविस्ट, एवं पत्रकार के रूप में दायित्वों को भली भांति निभाने के फलस्वरुप पत्रकार एवं सामाजिक संगठनों द्वारा मिले सैकड़ो प्रशस्ति पत्र एवं मोमेंटो पर कालिख पुत गयी और ये कालिख समाज के जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी द्वारा लगायी गयी हो तो इच्छा मृत्यु मांगना स्वभाविक लगता है।

सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग, उ. प्र. के प्रभावशाली अधिकारी और कर्मचारियों के विरुद्ध पत्रकार तनवीर द्वारा खुलासा किया गया तो पुरानी कहावत जल में रहकर मगरमच्छ से बैर का रंग दिखने लगा। ऐस नही है कि ठेकेदारों और राजनीतिक व्यक्तियों को पत्रकार की मान्यता देकर सत्ता और शासन के गलियारे में सुगमता और सरलता से प्रवेश देने का ये कोई नया मामला है परन्तु पत्रकार तनवीर को इसके विरुद्ध आवाज़ उठाना इतना महंगा पड़ जायेगा कि संपूर्ण परिवार की मान, मर्यादा, प्रतिष्ठा पर न सिर्फ सामाजिक दाग लग दिया जायेगा बल्कि मानसिक कुठाराघात ऐसा होगा कि पूरा परिवार आत्महत्या जैसे जघन्य अपराध की तरफ सोचने पर विवश हो जायेगा ।

सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के अति प्रभावशाली व्यक्त्तिव शिशिर सिंह भी प्रेस प्रभाग के मायाजाल से स्वयं को न बचा पाये और प्रमोद जैसे कर्मचारी की आवभगत में ऐसे लिपटे कि मान्यता के तमाम सिद्वांत को दरकिनार करके प्रमोद को खास सिपाहसलार बना दिया। अत्याधिक कमाई वाली विज्ञापन की कुर्सी मिलते ही प्रमोद का निराला खेल शुरु हुआ और प्रेस प्रभाग के कर्मठ कर्मचारी राजा को बात अनसुनी करने पर दंड भुगतना पड़ा। प्रमोद ने शालिनी, मधु, के साथ मान्यता देने और नवीनीकरण करने के कारोबार के नये रास्ते बना लिये जिसमें ललित मोहन को साथ मिला लेने से दुकान का कार्य 24 घण्टे चालू हो गया, परन्तु समाजिक चेतना जाग्रत करने के कारण तनवीर अहमद सिद्दिकी को इसका परिणाम भुगतना पड़। फर्जी मान्यता कराने हेतु प्रमोद ने कार्यालय स्थानीय अभिसूचना इकाई, लखनऊ से भी लेन देन का सरल मार्ग प्रश्स्त कर लिया था और मनमाफिक रिपोर्ट लगवाना चुटकियों का काम था, मात्र कुछ घण्टों में ही एल.आई.यू. रिपोर्ट लगवाने हेतु बड़ी कीमत वसूली जाती है और पूरा लेखा जोखा बराबरी से बाटने का कारोबार के बारे में समस्त मीडिया बिरादरी जागरुक है।

पत्रकार तनवीर के विरुद्ध सूचना विभाग के भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज़ उठाने पर साजिशन कार्यालय स्थानीय अभिसूचना इकाई, लखनऊ से झूठी, मनगढ़ंत, काल्पनिक जांच आख्या दिनांक 10.05.2023 बनवा लेना कोई असम्भव नही दिखता और सूचना निदेशक के अति प्रिय प्रेस प्रभाग की पूरी संयुक्त टीम के प्रभाव में जिस तरह शिशिर सिंह द्वारा बिना सुनवाई का अवसर दिये एकपक्षीय कार्यवाही की गयी उसने तनवीर के साथ साथ उसके पूरे परिवार, मित्रों के मुँह पर कालिख पोतने का कार्य किया है जबकि अपर निदेशक सूचना विभाग द्वारा दिनांक 07…. को प्रेषित पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया कि मान्यता नवीनीकरण की कार्यवाही प्रचलित है परन्तु 4 दिन पूर्व के पत्र दिनंाक …. को सूचना निदेशक द्वारा मान्यता समाप्ति का निणर्य केवल सोची समझी साजिश का परिणाम प्रमाणित है।

अपर निदेशक, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के पत्र के अनुसार दिनांक 07…… को मान्यता सम्बधी कार्यवाही प्रचलित थी तो सूचना निदेशक द्वारा 4 दिन पूर्व मान्यता समाप्ति का आदेश फर्जी प्रतीत होता है।

पत्रकार तनवीर के ख्ुालासे से पत्रकारों की मान्यता सम्बंधी निर्णय के लिये बनाई गई प्रेस मान्यता समिति के बड़े पत्रकार भी नाराज़ थे क्योकि उनके कुत्सित कार्यकलापों एवं आपराधिक मुकदमोें के संबंध में तनवीर द्वारा प्रश्न उठाया गया था जिससे क्लब नाम की संस्था में सूरज ढलते ही चर्चा का दौर चलता रहता था और तनवीर को सबक सिखाने के लिये एक खास प्रजाति की टोली सूचना निदेशक के साथ सक्रिय भूमिका में कार्यरत थी। ं वहीं तनवीर का कहना है कि उनके द्वारा लगाए गए तमाम यिकायती पत्रोंए एवं आर.टी.आई आवेदनों की सत्यता की उच्च स्तरीय जांच कराये जोन पर बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा होगा और कार्यालय स्थानीय अभिसूचना इकाई, लखनऊ की झूठी, मनगढ़ंत, काल्पनिक और दूषित मानसिकता द्वारा जारी जांच आख्या दिनांक 10.05.2023 की भी पोल खुल जायेगी परन्तु सूचना निदेशक द्वारा जारी ओदश से पारिवारिक, सामाजिक, मानसिक छति के साथ पूरा परिवार जिसमें प्रार्थी की माँ, पत्नी, बेटी, भाई, मित्र आदि सभी को समाज में अपमानित किया जा रहा है और असहनीय मानसिक पीड़ा, सामाजिक क्षति और कष्टकारी जीवन और आत्मग्लानी आत्महत्या जैसा घ्रणित अपराध करने पर मजबूर हो जाना कोई बड़ी बात नहीं दिखती।

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