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स्वस्थ बालक बालिका प्रतिस्पर्धा में बच्चे हुए सम्मानित

 

पोषण पखवाड़े के तहत किया गया आयोजन, मोटे अनाज के सेवन के लाभ बताए

 

खबर दृष्टिकोण

संवाददाता जालौन

 

जालौन, उरई….। पोषण पखवाड़ा के तहत शहरी क्षेत्र के बाल विकास परियोजना कार्यालय में स्वस्थ बालक बालिका प्रतिस्पर्धा में विजेता बच्चों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में अन्न प्रासन और गोदभराई का भी हुई। इसमें पांच गर्भवती और पांच बच्चों का अन्नप्रासन किया गया।

मुख्य अतिथि मुख्य विकास अधिकारी डॉ अभय कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस पोषण पखवाड़ा का उद्देश्य कुपोषण मुक्त भारत का निर्माण करना है। अगर मां और बच्चा कुपोषण से मुक्त होगा तो स्वस्थ समाज का निर्माण होगा। जिला कार्यक्रम अधिकारी इफ्तेखार अहमद ने बताया कि 20 मार्च से शुरू हुआ पोषण पखवाड़ा 3 अप्रैल तक चलेगा। इस अभियान के तहत 1815 आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण संबंधी गतिविधियां आयोजित की जा रही है। इसमें गर्भवती, धात्री महिलाओं और कुपोषित बच्चों को चिह्नित कर उन्हें पोषण के बारे में जानकारी दी जा रही है।

 

उन्होंने बताया कि सरकार मोटे अनाज को बढ़ावा दे रही है। इस पखवाड़ा में मुख्य रूप से तीन थीम निर्धारित की गई है। इसमें श्री अन्न या मोटा अनाज, स्वस्थ बालक बालिका प्रतिस्पर्धा और सक्षम आंगनबाड़ी को लोकप्रिय बनाना है। उन्होंने बताया कि मोटे अनाज के उपभोग से न सिर्फ कुपोषण दूर होता है। बल्कि यह आंत के कैंसर में भी लाभकारी होता है। मोटा अनाज एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत है और वजन कम करने में भी सहयोग होता है। मोटा अनाज मधुमेह जैसी बीमारी में भी लाभकारी होता है। उन्होंने बताया कि जिले में अप्रैल 2022 से अभी तक चिह्नित 6864 के सापेक्ष 5910 अति तीव्र कुपोषित बच्चों को सुपोषित की श्रेणी में लाया जा चुका है।

बाल विकास परियोजना अधिकारी विमलेश आर्या ने बताया कि स्वस्थ बालक बालिका प्रतिस्पर्धा में शहरी क्षेत्र के 185 केंद्रों पर आयोजित की गई। इसमें प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले 14 बच्चों को प्रमाणपत्र देकर पुरस्कृत किया गया। इस मौके पर अंकिता वर्मा, मुख्य सेविका कमलेश स्वर्णकार, देविका रानी, रमाकांत दोहरे आदि मौजूद रहे। काशीराम कालोनी निवासी पूजा ने बताया कि उन्होंने अपने क्षेत्र की आंगनबाड़ी केंद्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ब्रह्मा देवी से समय समय पर सलाह ली। उनका बेटा दो साल आठ महीने का है। वह कुपोषित श्रेणी में था लेकिन अच्छे पोषण आहार के कारण वह सुपोषित की श्रेणी में आ गया और आज उसे सम्मानित भी किया गया।

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