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ऊपरी आहार सही व्यवहार विषय पर पोषण पाठशाला का किया गया आयोजन

 

लखनऊ खबर दृष्टिकोण। प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री की सुपोषित भारत की परिकल्पना को साकार करते हुए बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की सेवाओं, पोषण प्रबन्धन, कुपोषण से बचाव के उपाय, पोषण शिक्षा व पोषण के सन्देशों को घर-घर तक पहुँचाने के लिए बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा आज एनआईसी के माध्यम से चतुर्थ पोषण पाठशाला का आयोजन “ऊपरी आहार सही व्यवहार”विषय पर शुक्रवार को आयोजित किया गया।

पोषण पाठशाला में वीडियो कॉन्फेसिंग के माध्यम से सभी 75 जनपद के जनपद स्तरीय अधिकारी जुड़े रहे । प्रदेश के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर इस कार्यक्रम का सजीव प्रसारण किया गया ।ऑगनबाड़ी केन्द्रों पर 18 लाख से अधिक पंजीकृत धात्री महिलाएं व उनके परिवारजनो द्वारा पोषण पाठशाला को देखा व सुना गया। इस अवसर पर सचिव, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग अनामिका सिंह द्वारा पोषण पाठशाला की रूपरेखा एवं उपयोगिता के सम्बन्ध में विस्तार से प्रकाश डाला गया तथा पूरक आहार की महत्वता के बारे में अवगत कराया गया ।उन्होंने कहा कि बच्चे के लिए प्रथम 1000 दिवस सही पोषण के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते है। 06 माह के उपरान्त बच्चों के ऊपरी आहार की शुरूआत होनी चाहिए ।निदेशक राज्य पोषण मिशन कपिल सिंह द्वारा पोषण पाठशाला के मुख्य थीम”ऊपरी आहार सही व्यवहार” पर चर्चा करते हुए लाभार्थियों को बेहतर से बेहतर जानकारी प्रदान करना, भ्रान्तियों को दूर करना तथा स्वास्थ्य व पोषण के प्रति जागरूक करने के सम्बन्ध में अवगत कराया गया। पोषण पाठशाला में विषय विशेषज्ञों के रूप में एडजंक्ट एसोसिएट प्रोफेसर, सीटीआरए, आईआईटी बॉम्बे डॉ.रूपल दलाल,पोषण विशेषज्ञ एसएमडीटी दीपाली फरगड़े,वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ एसजीपीजीआई, लखनऊ डॉ. पियाली भट्टाचार्य, बी०पी०एनआई० प्रशिक्षक आई एम ओझा तथा प्रवीण दुबे द्वारा पोषण पाठशाला में ऊपरी आहार की सही शुरूआत विशेषकर 09 माह से 23 माह के बच्चों के विषय पर विस्तार से चर्चा की गयी। विषय विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न प्रकार के पोषण तत्वों तथा आहार की सही समय पर

शुरूआत करने की महत्वता के बारे में आज की पोषण पाठशाला में विस्तृत जानकारी उपलब्ध करायी गयी। डॉ पियाली भट्टाचार्य द्वारा बढ़ती आयु में पोषक तत्वों का महत्व (टाइप-1) तथा जंक फूड देने के नुकसान

के बारे में, डॉ0 रूपल दलाल द्वारा बढ़ती आयु व विकास में पोषक तत्वों का महत्व (टाइप-2) तथा उसकी कमी से होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया। सुश्री दीपाली फरगडे द्वारा बढ़ते बच्चों में आहार का प्रकार, विविधता तथा मात्रा के बार में, श्री आई0एम0ओझा तथा श्री प्रवीण दुबे द्वारा उपरी आहार में रिस्पॉन्सिव फीडिंग तथा पिता की भूमिका – फील्ड अनुभव के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी गयी। डॉ0 रिचा एस0 पाण्डेय राज्य प्रतिनिधि यूनिसेफ द्वारा कार्यक्रम में आवश्यक सहयोग प्रदान किया गया ।कार्यक्रम के दौरान विभिन्न जनपदों के लाभार्थियों द्वारा प्रश्न पूछे गये, जिसका विषय विशेषज्ञों द्वारा विस्तारपूर्वक उत्तर भी दिया गया।संयुक्त परियोजना समन्वयक सेराज अहमद द्वारा सभी प्रतिभागियों एवं सहयोगियों को धन्यवाद दिया गया।

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