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759 चालकों से करोड़ों की ठगी की जांच क्राइम ब्रांच को, 

 

गाड़ी का मालिकाना हक का सपना दिखाकर ठगे थे करोड़ों

 

 

लखनऊ, । 759 कार चालकों को मालिकाना हक का सपना दिखाकर करोड़ों रुपये ठगने वाली ओला फ्लीट कंपनी के खिलाफ दर्ज मुकदमे की जांच अब क्राइम ब्रांच करेगी। चालकों ने विभूतिखंड थाने में कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने जांच कर रही पुलिस टीम पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पुलिस कमिश्नर से जांच क्राइम ब्रांच से कराने का आग्रह किया था। पुलिस कमिश्नर के आदेश पर मामले की जांच क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दी गई। एडीसीपी पूर्वी सैय्यद मोहम्मद कासिम आब्दी ने इसकी पुष्टि की।विजयंतखंड निवासी गंगा भक्त यादव के मुताबिक वर्ष 2017 में ओला फ्लीट टेक्नोलाजी कंपनी ने एक स्कीम लांच की थी। स्कीम के तहत सिक्योरिटी मनी के रूप में 21 हजार रुपये का चालकों को पहला इंस्टालमेंट कंपनी को देना था। इसके बाद प्रति व्यक्ति प्रति दिन 830 रुपये की किस्त देनी थी। स्कीम समझ में आयी तो गोविंद प्रसाद, रंजीत प्रसाद, इदरीश अहमद, संजीव पांडेय, विजय कुमार और अंकित मिश्र समेत 759 लोगों ने आवेदन किया। कंपनी के अधिकारियों के कहने पर ढाई साल तक किस्त देने की बात हुई थी। किस्त अदा हो जाने के बाद कंपनी के अधिकारियों ने गाड़ी का मालिकाना हक देने का दावा किया था। लोग स्कीम से जुड़े और किस्त देने लगे। बीते साल 20 मार्च 2020 को लाकडाउन हुआ गाड़ियां चलनी बंद हो गईं। इसके बाद सैकड़ों गाड़ियों को इंदिरानगर तकरोही स्थित एक गेस्ट हाउस में खड़ा कर दिया गया। लाकडाउन खत्म होने पर चालकों ने कंपनी से मालिकाना हक देने की बात कही। इस दौरान कंपनी के अधिकारियों को गेस्ट हाउस से गाड़ियां उठवाकर उन्नाव के सोहरामऊ स्थित एक यार्ड में भेजवा दी। इस दौरान कोविड की दूसरी लहर आयी। फिर लाकडाउन हो गया। मामला ठंडा हो गया।हालात सामान्य होने पर बीते 27 जुलाई को चालकों ने पड़ताल की तो पता चला कि ओला कंपनी गाड़ियों की नीलामी महेंद्रा फस्ट च्वाइस कंपनी के साथ मिलकर करने जा रही है। चालकों ने कंपनी के अधिकारियों से मुलाकात कर विरोध किया तो उन्होंने सुनवाई नहीं की। चालकों ने उन्नाव जिला प्रशासन से न्याय की गुहार की। इसके बाद एसडीएम सोहरामऊ से मिले। उन्होंने नीलामी पर रोक लगा दी। इसके बाद चालकों ने पुलिस कमिश्नरेट के अधिकारियों मुलाकात कर अपनी पीड़ा सुनाई। मामले की जांच हुई। चालकों का पक्ष सही पाया गया। चालकों की तहरीर के आधार पर ओला फ्लीट टेक्नोलाजी और महेंद्रा फस्र्ट च्वाइस कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। गंगा राम भक्त का आरोप है कि मुकदमा दर्ज होने के बाद से जांच में लगे विभूतिखंड थाने के पुलिस कर्मी लापरवाही और सिथिलता बरत रहे थें। इसके बाद पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर से मुलाकात कर प्रार्थनापत्र दिया गया और जांच क्राइम ब्रांच से कराने का आग्रह किया गया था।

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