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JPC की पहली बैठक में वक्फ बिल पर बवाल! सांसदों के बीच तीखी बहस

 

वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति ने गुरुवार को अपनी पहली मैराथन बैठक आयोजित की, जबकि प्रस्तावित कानून के कई प्रावधानों पर विपक्षी सांसदों ने आपत्ति जताई थी। इस दौरान केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने एक प्रस्तुति दी। लंबी बैठक के दौरान तीखी नोकझोंक हुई, लेकिन विभिन्न दलों के सदस्यों ने अपने विचार दर्ज कराए, सुझाव दिए तथा विधेयक के प्रावधानों पर स्पष्टीकरण मांगा।
तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, आप के संजय सिंह, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और डीएमके के ए राजा समेत विपक्षी सदस्यों ने कलेक्टर को अधिक अधिकार देने और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने जैसे कई प्रावधानों पर सवाल उठाए। उठाए गए सवालों के जवाब देने के लिए मंत्रालय की तैयारियों पर भी चिंता जताई गई। समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने सदस्यों को आश्वासन दिया कि विभिन्न मुस्लिम निकायों समेत सभी हितधारकों से परामर्श किया जाएगा। समिति का लक्ष्य अगले सत्र तक सभी 44 संशोधनों को संबोधित करते हुए एक व्यापक विधेयक लाना है।
सूत्रों ने बताया कि समिति में विपक्ष के कई सदस्यों ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि विधेयक में ऐसे प्रावधान हैं जो “असंवैधानिक” हैं और मुस्लिम समुदाय के “हितों के लिए हानिकारक” हैं। उन्होंने कहा कि इस रुख का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में उसके सहयोगियों ने भी विरोध किया, जिसके कारण तीखी बहस हुई।
सूत्रों ने बताया कि विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि विधेयक धर्म की स्वतंत्रता, समानता की स्वतंत्रता और अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है। कुछ सांसदों ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रतिनिधियों की प्रस्तुति पर असंतोष व्यक्त किया। सूत्रों ने बताया कि बैठक में भाजपा के सहयोगियों ने कहा कि मुख्य अल्पसंख्यक समुदाय के हितों की रक्षा की जानी चाहिए। समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने चर्चा को रचनात्मक परिणाम की ओर ले जाने की मांग की।

 

8 अगस्त को पेश किए गए इस विधेयक में केंद्रीय वक्फ परिषद और मुस्लिम महिलाओं तथा गैर-मुस्लिमों के लिए प्रतिनिधित्व सहित सुधारों का प्रस्ताव है। एक विवादास्पद खंड जिला कलेक्टर को संपत्तियों को वक्फ या सरकारी भूमि के रूप में वर्गीकृत करने के लिए प्राथमिक प्राधिकारी के रूप में नामित करता है। सरकार का कहना है कि विधेयक का उद्देश्य मस्जिद संचालन में हस्तक्षेप किए बिना वक्फ संपत्तियों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया में सुधार करना है, जबकि विपक्ष इसे मुसलमानों को निशाना बनाने के रूप में देखता है।

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