Breaking News

भ्रष्टाचार को समाप्त करने का मूल मंत्र – कर्तव्यों की साधना

विज़न 2047

 

 

प्रशासन की मानसिकता को अब कर्तव्य पथ की भावना में बदलने का प्रण करना होगा

 

नए भारत के निर्माण में हर नागरिक को अधिकारों के साथ कर्तव्यों को रेखांकित करना तात्कालिक ज़रूरी – एडवोकेट किशन भावनानी

 

गोंदिया – वैश्विक रूप से हर देश में अपनी अपनी अलग-अलग विशेषताओं से उनकी अपनी अलग अलग पहचान बनती है बात अगर हम भारत देश की करें तो भारत की सदियों पुरानी एक अपनी चेतना, उर्जा का अपना ही एक प्रवाह है। यह ऊर्जा, चेतना भारत के आदि अनादि काल से ही उन महापुरुषों, गुरुओं, महान व्यक्तियों की प्रवाहित है जिनकी तपस्या से एक पर्वत पहाड़ भी जागृत होते हैं और मानवीय प्रेरणा का केंद्र बन जाते हैं, जो भगवान राम, कृष्ण से लेकर अनेक कालखंडों में अनेक महापुरुषों, सिद्ध पुरुषों व्यक्तियों की वजह से निरंतर बढ़ते और मार्गदर्शन पाते रहते हैं जो संकल्पों की परिणिति में बदलते रहते हैं।

साथियों बात अगर हम भारतीयों की वर्तमान परिपेक्ष की करें तो अवधारणा या विज़न 2047 यह हमने संकल्पित किया है जो वर्तमान आजादी के अमृत महोत्सव में नए भारत के लिए उमड़ रहा है। वह भी भारतीयों के हृदय में, जहां संकल्प के साथ में साधना जुड़ी है तब मानव मात्र के साथ हमारा मम भाव, हमारी सेवा भी जुड़ जाती है, समझिए एक नया सवेरा होने वाला है। सेवा और त्याग का यही अमृत भाव आज अमृत महोत्सव में नए भारत के लिए उमड़ रहा है और देशवासीयों नें विज़न 2047 की नींव रख दी हैं जो करीब-करीब हर मंत्रालय स्तरपर रोज़ हम प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से विभिन्न हुनरहाट, प्रौद्योगिकी के नए-नए आयाम,कौशलताविकास भिन्न संस्थाओं द्वारा किया जा रहे एमओक्यू इत्यादि अनेक कार्यशाला में शामिल है। परंतु एक बात हमें नहीं भूलना चाहिए कि केवल अधिकार के बल पर ही लक्ष्य को नहीं पाया जा सकता उसके लिए कर्तव्यों की साधना भी करनी होती है जिसे नए भारत के निर्माण के लिए हर नागरिक खासकर शासकीय छोटे बड़े अधिकारियों कर्मचारियों को भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए कर्तव्ययों को दिल की गहराइयों से अपनाना होगा जिसको रेखांकित करना तात्कालिक ज़रूरी है।

साथियों बात अगर हम कर्तव्यों की साधना की करें तो हम दशकों से देखते आ रहे हैं कि भारत में अधिकारों के लिए आंदोलन, मोर्चे, हड़ताल, भारत बंद, लामबंदी, सत्याग्रह, इत्यादि अनेक तरीकों से अधिकार प्राप्त करने की प्रक्रिया होती है परंतु अपने कर्तव्यों की पालना के लिए ऐसे उग्र उत्सुकता देख देखने को नहीं मिली, भारत जैसे शांतिप्रिय, आध्यात्मिक,धर्मनिरपेक्षसंतनगरी महापुरुषों की आध्यात्मिक धरती पर अब समय आ गया है कि हम अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों की साधना भी करें।

साथियों बात अगर आम संविधान में अपने अधिकारों की करें तो वहां कर्तव्यों की भी उस्तुती है। इसीलिए हम अब नए भारत के निर्माण के लिए हर नागरिक को अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों की भी साधना करना तात्कालिक जरूरी है, जिससे देश जिस गति से विकास के राह पर आगे बढ़ रहा है उसमें कई गुना तेजी से वृद्धि होगी।

साथियों बात अगर हम माननीय पीएम द्वारा दिनांक 06 अक्टूबर 2022 को एक कार्यक्रम में अधिकारियों को संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने भी कहा कि, अधिकारियों को अमृत काल के दौरान देश की सेवा करने और पंच प्रण को साकार करने में मदद करने का अवसर मिला है। अमृत काल में एक विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति सुनिश्चित करने में अधिकारियों की अहम भूमिका है। उन्होंने लीक से हटकर चिंतन करने और अपने प्रयासों में समग्र दृष्टिकोण अपनाने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस तरह के समग्र दृष्टिकोण के महत्व को प्रदर्शित करने के लिए पीएम प्रधानमंत्रीस्टर प्लान का उदाहरण दिया। उन्होंने नवाचार के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि यह किस तरह सामूहिक प्रयास और देश में कार्य संस्कृति का हिस्सा बन गया है। उन्होंने स्टार्ट-अप इंडिया योजना के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि कैसे पिछले कुछ वर्षों में देश में स्टार्टअप्स की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि यह कई मंत्रालयों के एक साथ आने और ‘संपूर्ण सरकार’ वाले दृष्टिकोण के माध्यम से एक टीम के रूप में काम करने के कारण संभव हुआ है।

साथियों कुछ समय पूर्व भी एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में पीएम ने कहा था कि भारत ने अपना बहुत बड़ा समय इसलिए गंवाया है क्योंकि कर्तव्यों को प्राथमिकता नहीं दी गई। इन 75 वर्षों में कर्तव्यों को दूर रखने की वजह से जो खाई पैदा हुई है, सिर्फ अधिकार की बात करने की वजह से समाज में जो कमी आई है, उसकी भरपाई हम मिल करके आने वाले 25 वर्ष में, कर्तव्य की साधना करके पूरी कर सकते हैं। उन्होंने कहा था आप लोगों ने एक कहानी जरूर सुनी होगी। एक कमरे में अंधेरा था तो उस अंधेरे को हटाने के लिए लोग अपने अपने तरीके से अलग-अलग काम कर रहे थे। कोई कुछ कर रहा था, कोई कुछ कर रहा था। लेकिन किसी समझदार ने जब एक छोटा सा दीया जला दिया, तो अंधकार तुरंत दूर हो गया। वैसी ही ताकत कर्तव्य की है। वैसी ही ताकत छोटे से प्रयास की भी है। हम सभी को,देश के हर नागरिक के हृदय में एक दीया जलाना है- कर्तव्य का दीया जलाना है।

हम सभी मिलकर, देश को कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ाएंगे, तो समाज में व्याप्त बुराइयां भी दूर होंगी और देश नई ऊंचाई पर भी पहुंचेगा। भारत भूमि को प्यार करने वाला, इस भूमि को मां मानने वाला कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं होगा जो देश को नई ऊंचाई पर ना ले जाना चाहता हो, कोटि-कोटि लोगों के जीवन में खुशहाली ना लाना चाहता हो। इसके लिए हमें कर्तव्यों पर बल देना ही होगा।अमृतकाल का ये समय, सोते हुए सपने देखने का नहीं बल्कि जागृत होकर अपने संकल्प पूरे करने का है। आने वाले 25 साल, परिश्रम की पराकाष्ठा, त्याग, तप-तपस्या के 25 वर्ष हैं। सैकड़ों वर्षों की गुलामी में हमारे समाज ने जो गंवाया है, ये 25 वर्ष का कालखंड, उसे दोबारा प्राप्त करने का है। इसलिए आजादी के इस अमृत महोत्सव में हमारा ध्यान भविष्य पर ही केंद्रित होना चाहिए।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अधयन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि विज़न 2047 के लिए कर्तव्यों की साधना तात्कालिक ज़रूरी है।भ्रष्टाचार को समाप्त करने का मूल मंत्र – कर्तव्यों की साधना प्रशासन की मानसिकता को अब कर्तव्य पथ की भावना में बदलने का प्रण करना होगा। नए भारत के निर्माण में हर नागरिकों को अधिकारों के साथ कर्तव्यों को रेखांकित करना तात्कालिक ज़रूरी है।

 

*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

About Author@kd

Check Also

कांग्रेस से हो रहा है लगातार पलायन -पार्टी के आला नेता किंकर्तव्यविमूढ़ ?

  >अशोक भाटिया देश में नेताओं का दलबदल करना कोई नई बात नहीं है, लेकिन …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!