Breaking News

सजा छोटे कर्मचारी को जबकि जिम्मेदार भी हैं कहीं का कहीं जिम्मेदार

 

ख़बर दृष्टिकोण बाराबंकी।

संवाददाता अतुल कुमार श्रीवास्तव

जिले और प्रदेश में ही नहीं सम्पूर्ण भारत में शिक्षा को व्यवसाय बना दिया गया है, जबकि विद्या धनम् सर्व धनम् प्रधानम् की परिपाटी ही हमारी पहचान रही थी। जब जिम्मेदार और रक्षक ही भक्षक बन कुकृत्य पर आमादा हो जाएं तब क्या ही हो सकता है। मामला सिर्फ बाराबंकी जनपद के जैदपुर या रामनगर थाना क्षेत्र अन्तर्गत संचालित विद्यालयों का ही नहीं बल्कि लगभग सभी विद्यालयों का है। जैदपुर थाना क्षेत्र के अन्तर्गत बाबा जगजीवन दास इंटर कॉलेज के वाहन चालक द्वारा छोटी बच्ची के साथ अश्लील हरकत की सूचना पर अभिभावकों द्वारा ड्राइवर की पिटाई करने के पश्चात पुलिस के हवाले कर दिया गया, जैदपुर पुलिस ने ड्राइवर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है और रामनगर के बीच पी एन इंटरनेशनल एकेडमी के वाहन चालक पर भी यही कार्यवाही हुई। इस संबंध में महिला एवं बाल संरक्षण गृह आयोग के पदाधिकारी के साथ सीओ सदर सुमित त्रिपाठी, थाना अध्यक्ष अमित प्रताप सिंह, पंचायत सेक्रेटरी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, खंड शिक्षा अधिकारी, लेखपाल, तहसीलदार सहित कई अधिकारी मौके पर पहुंचकर विद्यालय जांच-पड़ताल की। जांच-पड़ताल में कई कमियां मिली विद्यालय प्रशासन जांच के दौरान कोई कागजात स्पष्ट तौर पर सही नहीं दिखा पाया‌। जिसके लिए बाल आयोग के पदाधिकारी ने कठोर शब्दों में चेतावनी दी और समुचित धारा मुकदमा दर्ज करके पीड़िता को न्याय दिलाने की बात कही। मीडिया कर्मियों के द्वारा पूछे गये सवाल क्या अब तक जिला प्रशासन सो रहा था? अध्यक्ष ने गोल-गोल जवाब देते हुए कहा जांच की जाएगी तथा सभी स्कूलों को कड़े निर्देश दिए जाएंगे कहते हुए हम जनता पर एहसान जताकर चलते बने। उनके या प्रसाशन के पास फालोअप के नाम पर सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ने के कुछ नहीं होना है। मुख्य रूप से सवाल यह आता है कि क्षेत्रीय प्रशासन आखिर घटना के बाद ही एलर्ट क्यों होता है? क्यों इंतजार करते रहते हैं अधिकारी की जब किसी की शिकायत आयेगी हम तभी एक्शन मोड में आयेंगे? क्या लिफाफा जिम्मेदारियों से ज्यादा प्यारा और लाभकारी है इन अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए? मान्यता देने से पहले निरीक्षण अधिकारी क्या देखते हैं उन पर क्या कार्यवाही नहीं होनी चाहिए? मान्यता किस कक्षा तक दी जा रही है और कक्षाएं किस स्तर तक की संचालित हो रही हैं जांचना प्रशासन का काम नहीं है?

मान्यता लेने वाले और विद्यालय संचालक से ज्याद जिम्मेदार शिक्षा विभाग के अधिकारी और कर्मचारी हैं, यदि अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन बगैर लिफाफे के करना शुरू कर दें तो विद्यालयों में घटने वाले अमानवीय घटनाएं अपने आप दम तोड़ देंगी। ड्राइवर को सजा हो जाएगी, विद्यालय की मान्यता समाप्त कर शील कर दिया जाएगा। लेकिन क्या ऐसी घटनाएं उस अबोध बालिका पर यह दुष्प्रभाव नहीं छोड़ जाएंगी? क्या कल को वही विद्यालय संचालक दूसरी फाइल दौड़ाकर दूसरे नाम से मान्यता नहीं ले सकता? आयोग व शासन को यदि एक्शन लेना है तो विभागीय अधिकारियों से लेकर स्कूल ड्राइवर तक कार्याही ही ऐसी निंदनीय घटनाओं पर लगाम लगा पायेगी, क्या वाहन चालक के अतिरिक्त ऊपर से लेकर निचले स्तर के दोषियों पर बाबा का बुलडोजर जोर आजमाइश कर सकने की हिमाकत कर पाएगा?

About Author@kd

Check Also

अवैध रूप से डेरी संचालन करने पर हटाई गयीं अवैध डेरियां 

  ख़बर दृष्टिकोण लखनऊ। लखनऊ । नगर आयुक्त के निदेश पर थाना पारा जोन 6 …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!