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आवास विकास का फर्जी अधिकारी बन प्लाट दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपए,जांच के नाम पर पुलिस पीड़ित पक्ष को कर रही गुमराह

 

उत्तर प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार को समाप्त करने के चाहे जितने दावे कर ले,लेकिन हकीकत यही है कि सभी दावे खोखले ही नजर आ रहे हैं। जिसका एकमात्र कारण है निचले स्तर पर जांच अधिकारी जमकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं, और भ्रष्टाचारियों, ठगों और माफियाओं के साथ सेटिंग करके पीड़ित पक्ष को जांच के नाम पर हमेशा गुमराह करते रहते हैं।कुछ ऐसा ही मामला राजधानी लखनऊ का पिछले कई महीनों से चल रहा है।

आपको बता दें कि आलमबाग थाना क्षेत्र के रहने वाले रिटायर्ड प्रिंसिपल से आवास विकास का अधिकारी बनकर राजेंद्र प्रसाद पुत्र उमाशंकर निवासी-सेक्टर 5,वृंदावन योजना लखनऊ ने आलमबाग निवासी बुधिराम से वृंदावन योजना लखनऊ में प्लाट दिलाने के नाम पर 1करोड़ रुपए ठग लिए,हालांकि इस पूरे मामले में दो जमीन के दलालों का भी नाम सामने आया है जिनमें एक सिराज और दूसरा सानू नाम सामने आया है,इन दोनों लोगों ने ही रिटायर्ड प्रिंसिपल को राजेंद्र प्रसाद को आवास विकास का अधिकारी बना कर प्रिंसिपल के सामने पेश किया था, हालांकि इस मामले में बाकायदा एफआईआर भी हुई,आरोपी को पकड़ा भी गया और छूट भी गया,लेकिन इसके बावजूद अभी तक पीड़ित पक्ष को उसका पैसा वापस नहीं मिल सका।

ठग राजेंद्र प्रसाद ने केवल बुद्धिराम को ही अपने ठगी का शिकार नहीं बनाया, बल्कि वृंदावन योजना में ही रहने वाले संजय अस्थाना से भी प्लाट दिलाने के नाम पर 22 लाख ₹81000 हड़प लिए है।

उक्त प्रकरण में भी पीजीआई थाने में एफ आई आर दर्ज है,लेकिन सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी ठगी करने वाले व्यक्ति को अभी तक पुलिस ने गिरफ्तार क्यों नहीं किया।

गिरफ्तारी ना होने की वजह से राजेंद्र प्रसाद एवं उसके सहयोगी तथा राजेंद्र प्रसाद के घर वालों का मन इतना बढ़ गया है कि जब कभी कोई भी पीड़ित व्यक्ति राजेंद्र प्रसाद के घर पर पैसे से संबंधित बात करने के लिए जाता है तो उसे जान से मारने की धमकी देते हैं और साफ लफ्जो में कहते हैं कि तुम्हें जहां जाना है वहां चले जाओ लेकिन पैसा नहीं मिलेगा।

हालांकि इस पूरे मामले की सीसीटीवी फुटेज भी पीड़ित पक्ष ने पुलिस स्थानीय पुलिस प्रशासन को दी,लेकिन इसके बावजूद अभी तक पीजीआई थाने की पुलिस भोले-भाले लोगों के साथ इतनी बड़ी ठगी करने वाले राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ कोई भी ठोस कार्रवाई करने में नाकाम साबित क्यों हो रही है।

सूत्रों की मानें तो लोगों ने यह भी आरोप लगाया है कि राजेंद्र प्रसाद ने जांच अधिकारियों को अच्छी खासी मोटी रकम दे रखी है,जिसकी वजह से इस पूरे मामले में हीला-हवाली की जा रही है और पीड़ित पक्ष को न्याय नहीं मिल रहा।

अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि मोदी और योगी की भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने की मंशा धरी की धरी रह जाएगी।

क्योंकि भ्रष्टाचार रूपी राक्षस सरकार के मंसूबों पर पानी फेरने में सफल साबित होते नजर आ रहे हैं,अब सवाल यह उठता है,अगर ऐसे भ्रष्ट जांच अधिकारियों के ऊपर अगर सरकार नकेल नहीं लगाती है तो ऐसे जालसाजों का मन बढ़ता जाएगा और भोले-भाले आम जनमानस ऐसे ठगो के ठगी का शिकार होते रहेंगे और प्रशासनिक अधिकारी अपने रिश्वतखोरी का खेल खेलते रहेंगे।

अब देखने वाली बात यह होगी राजेंद्र प्रसाद जैसे भ्रष्ट और जालसाज के खिलाफ सरकार क्या कदम उठाती और पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाती है या पीड़ित पक्ष को दरबदर की ठोकर खाने के लिए छोड़ देती है। अपने खून पसीने की कमाई को भ्रटाचारियों की भेंट चढ़ता देखती है।

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