Breaking News

नेपाल से 373 किमी और 7 दिन का सफर पूरा ! अयोध्या पहुंचीं शालिग्राम शिलाएं

रामसेवकपुरम में कड़ी सुरक्षा के बीच रखा जाएगा, आज फरवरी को राम मंदिर के लिए भेंट की जाएगी

नेपाल की गंडकी नदी से निकली दोनों विशाल शालि ग्राम शिलाएं आज शाम अयोध्या पहुंच गईं। इन शिलाओं को विहिप से जुड़े राम सेवक पुरम में रखा जा रहा हैl इसके लिए जगह चिह्नित कर प्लेटफार्म तैयार कर लिया गया है। शिलाओं को पहुंचते ही उन्हें पुलिस और PAC के कड़े सुरक्षा घेरे में ले लिया गया।

ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, मेयर ऋषिकेश उपाध्याय और जनकपुर के मेयर स्वागत किया

 

शिलाओं के अयोध्या पहुंचने पर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, सदस्य डाक्टर अनिल मिश्र अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय और जनकपुर के मेयर ने पुष्पहार से भव्य स्वागत किया। इस अवसर पर अनेक स्थानों पर लोगों ने जय श्रीराम के नारों के बीच शिलाओं का पुष्पवर्षा से स्वागत कियाl इन शिलाओं का रामसेवकपुरम में ही अयोध्या के संत पूजन कर उन्हें राम मंदिर के लिए भेंट करेंगेl इसके लिए अयोध्या के करीब एक सौ महंतों को आमंत्रित किया जा रहा हैl

अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर अगस्त 2023 में बनकर तैयार हो जाएगा। मकर संक्रांति 2024 में सूर्य के उत्तरायण होते ही भगवान श्री रामलला अपने मूल गर्भ गृह में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देंगे। रामलला के गर्भगृह में पहले से एक मूर्ति 1949 से स्थापित है। वहीं, दूसरी मूर्ति के रूप में नई मूर्ति का निर्माण नेपाल की शालि ग्राम शिला से होना लगभग तय हो गया है।

गर्भगृह में अभी राम चारों भाई बाल रूप में विराजमान हैं

नेपाल से आ रहीं दो शिलाओं में दूसरे का इस्तेमाल गर्भगृह के ऊपर की पहली मंजिल पर बनने वाले दरबार में श्रीराम की मूर्ति बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा। सूत्र बता रहे हैं कि श्रीराम चारों भाई की मूर्ति गर्भगृह में इस शिला से बनाकर स्थापित की जा सकती है। इस वजह से गर्भगृह में अभी राम चारों भाई बाल रूप में विराजमान हैं। इन प्रतिमाओं के छोटी होने के कारण भक्त अपने आराध्य को निहार नहीं पाते हैं।

शालिग्राम शिला से ही मूर्ति बनाने पर मंथन

भक्तों की इस कसक को दूर करने के लिए राम मंदिर ट्रस्ट श्रीरामजन्मभूमि पर बन रहे ऐतिहासिक भव्य मंदिर के गर्भगृह में रामलला की बड़ी मूर्ति स्थापित करने का निर्णय लिया। भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न की मूर्तियां भी अभी रामलला की तरह बहुत छोटी हैं। इसीलिए रामलला चारों भाई की गर्भगृह में बड़ी मूर्तियों को लगाने पर मंथन किया गया है। इसको देखते हुए रामलला सहित चारों भाई की शालिग्राम शिला से मूर्ति बनाने पर जोरशोर से मंथन हो रहा है।

शिलाएं एक जनवरी को राम जन्मभूमि पहुंच सकती हैं

गंडक नदी से ही प्राप्त शालिग्राम की शिलाएं ही पूजित होती हैं। यह शिलाएं शालिग्राम शिलाएं कहलाए जाती हैं। यह 31 जनवरी को ही गोरखपुर पहुंच कर आज रात वहां विश्राम करेंगी। पहले इन शिलाओं को 2 फरवरी गुरुवार के दिन अयोध्या पहुंचना था, पर अब विशाल शिलाओं के एक जनवरी को अयोध्या राम जन्मभूमि पहुंचने के आसार हैं।

दोनों शिलाओं को लाने का प्रयास एक साल से

राम भक्तों का इंतजार अब धीरे-धीरे खत्म होता नजर आ रहा है। अब जहां एक और रामलला के मंदिर का निर्माण तेजी के साथ किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर राम लला की जन्मभूमि मंदिर के मूल गर्भगृह में रामलला की मूर्ति की स्थापना को भी लेकर कार्य तेज कर दिए गए हैं। इसके लिए विगत 1 वर्षों से राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, विश्व हिंदू परिषद के माध्यम से नेपाल की गंडक नदी की दो विशाल शिलाओ को लाने का प्रयास कर रही थी। जो अब साकार हो गई है।

विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी राजेंद्र सिंह पंकज के नेतृत्व में दो विशाल शिलाएं जिन्हें शालिग्राम शिलाएं भी कहा जाता है 1 फरवरी को अयोध्या पहुंच रही हैं। एक शिला का वजन 26 टन है वहीं दूसरी शिला का वजन 14 टन है। माना जा रहा है कि यह शिलाएं 6 करोड़ वर्ष पुरानी है।

मूर्ति बनाने पर ट्रस्ट मंथन कर रहा: चंपत

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय का कहना है कि नेपाल सरकार गंडक नदी की प्राचीन शालिग्राम शिलाएं भारत को देना चाह रही थी। यह शिलाएं अयोध्या आने वाली है। भगवान श्री राम के मंदिर में मूर्ति किस तरीके की हो और किन शिलाओं में यह मूर्ति निर्मित हो इस पर राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट विचार कर रहा है। इसके लिए देश भर के मूर्तिकारों से रामलला के बाल्यकाल की चित्रों और उनके विचारों को आमंत्रित किया गया है। भगवान की मूर्ति की भाव भंगिमां कैसी हो इस पर गहनता से विचार किया जा रहा है। किन पत्थरों से भगवान की मूर्ति निर्मित हो इस पर भी ट्रस्ट गहनता से शोध कर रहा है।

अगस्त 2023 तक भगवान श्रीराम के मंदिर का भूतल बनकर तैयार हो जाएगा

भगवान राम के मंदिर का निर्माण तेजी के साथ किया जा रहा है। ऐसे में कार्यशाला में राम मंदिर निर्माण कार्य के लिए पत्थरों के तराशने का कार्य भी चल रहा है। राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पहले यह घोषणा कर रखी है कि अगस्त 2023 तक भगवान श्री राम के मंदिर का भूतल बनकर तैयार हो जाएगा।

ऐसे में कार्यशाला के अंदर पत्थरों के तराशने के लिए भारी मात्रा में कारीगरों को लगाया गया है। जो बंसी पहाड़पुर के आए हुए पत्थरों जिन्हें पिंक सैंड स्टोन के रूप में जाना जाता है। उनको तलाशने का कार्य हो रहा हैं। यह पत्थर 1000 वर्ष तक सुरक्षित रहने वाले हैं और ट्रस्ट ने भी एक दावा किया है कि रामलला का मंदिर 1000 वर्ष तक विपरीत जलवायु में भी सुरक्षित रहेगा।

अयोध्या के साधु संत शालिग्राम शिला के पहुंचने को लेकर बेहद प्रसन्न
अयोध्या के साधु संत नेपाल से आ रही शालिग्राम शिला के अयोध्या पहुंचने को लेकर बेहद प्रसन्न नजर आ रहे हैं। रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का कहना है की ट्रस्ट के विचार स्वागत योग्य है। गंडक नदी में मिलने वाली शालिग्राम शिलाएं पूजित होती है। इनका सभी मंदिरों में पूजा की जाती है। शालिग्राम शिलाओं से मूर्ति बनती है यह अच्छी बात है।

श्रीरामवल्लभाकुंज के प्रमुख और विक्रमाादित्य महोत्सव समिति के अध्यक्ष स्वामी राजकुमार दास का कहना है कि रामलला के मंदिर में शालिग्राम की मूर्ति स्थापित होने से अयोध्या के संतो में व देश भर के राम भक्तों में खुशी होगी। वहीं देशभर से राम भक्त श्रद्धालु अयोध्या पहुंचकर राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशने के कार्यों को देख रहे हैं।

 

About Author@kd

Check Also

परशुराम धर्मशाला में नगर ब्राह्मण सभा के द्वारा मंडल अध्यक्ष राजीव सैनी का हुआ स्वागत ।

  परशुराम धर्मशाला में नगर ब्राह्मण सभा के द्वारा मंडल अध्यक्ष राजीव सैनी का हुआ …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!