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भ्रष्ट चिकित्सा अधिकारियों के ऊपर शिकंजा कसने में नाकाम साबित हो रहे हैं स्वास्थ्य मंत्री

 

 

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार भ्रष्टाचार को समाप्त करने की बात करती हुई नहीं थकती है, लेकिन सच्चाई कुछ और ही नजर आती है।

 

आलम यह है कि कुछ आला अधिकारी शासन के द्वारा दिए गए आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं और भ्रष्ट अधिकारियों को खुलेआम संरक्षण देने का काम कर रहे हैं।

 

ताजा मामला जनपद इटावा का सामने आया है जहां चिकित्साधिकारी डॉ.अवधेश यादव जो कि जनपद इटावा में लगभग 14 वर्षों से तैनात है, इनके ऊपर तमाम भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।

 

समाचार पत्रों में भी जनपद इटावा के मुख्य चिकित्साधिकारी एवं चिकित्साधिकारी के कारनामों की खबर पूर्व में प्रकाशित हो चुकी है।

 

जांच के दौरान दोषी पाए जाने के बाद शासन द्वारा डॉ.अवधेश यादव का स्थानांतरण करने का आदेश जारी हो गया।

 

लेकिन मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर भगवान दास बिलौरिया ने डा.अवधेश यादव को कार्यमुक्त नहीं किया।

 

जिसके खिलाफ शासन द्वारा दिनांक 12 नवंबर को आदेश जारी हुआ,जिसमें स्पष्ट रूप से मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.भगवान दास बिलौरिया को दोषी माना गया है।

 

लेकिन इसके बावजूद अभी तक यह दोनों व्यक्ति अपनी कुर्सी पर विराजमान हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि योगी सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश की मुहिम को जब ऐसे अधिकारी पलीता लगाते रहेंगे तो मुख्यमंत्री की मुहिम कैसे सफल होगी।

 

जब इस संबंध में अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद से जब जानकारी ली गई,तो उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया इस तरह से व्यक्त की जैसे उन्हें इस बारे में सब कुछ मालूम है, लेकिन वह कुछ करना नहीं चाहते जांच की बात करके मामले को टाल दिया जबकि उक्त प्रकरण में पहले से ही जांच हो चुकी है,मुख्य चिकित्साधिकारी इटावा भी दोषी पाए गए हैं। इतना ही नहीं इस पूरे मामले की जानकारी स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह को भी दी गई,लेकिन उन्होंने भी इस मामले को गंभीरता से लेना उचित नहीं समझा।अब ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि क्या विभाग के मंत्री और आला अधिकारी भ्रष्टाचारियों के ऊपर कार्यवाही करने से डरते हैं या उनको संरक्षण दे रहे हैं यह गुत्थी सुलझनी जरूरी है।

सूत्रों की अगर मानें तो सच्चाई यह भी है कि जनपद इटावा पिछले 14 सालों से विराजमान डॉ.अवधेश यादव स्वास्थ्य विभाग को जमकर हर महीने लाखों का चूना लगाते हैं,जिसमें मुख्य चिकित्साधिकारी इटावा से लेकर कुछ आला अधिकारियों की साझेदारी है।

अब सवाल यह उठता है कि क्या स्वास्थ्य विभाग ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों और डॉक्टरों के भरोसे चलेगा जबकि वर्तमान समय में पूरा देश तमाम महामारी की चपेट में है।

ऐसे में भ्रष्ट डॉक्टर और अधिकारी विभाग को चूना लगा रहे हैं और शासन और सत्ता में बैठे विभागीय जिम्मेदार अधिकारी एवं मंत्री किसी भी तरह की ठोस कार्यवाही करने में लाचार नजर आ रहे हैं फिर ऐसे में योगी सरकार का भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश का बयान केवल जुमलेबाजी साबित हो रहा है।

 

अब देखने वाली बात यह होगी कि इस प्रकरण में स्वास्थ्य विभाग के मंत्री महोदय अपने विभाग के आला अधिकारियों और जनपद इटावा के भ्रष्ट चिकित्सा अधिकारियों के ऊपर क्या कार्यवाही करते हैं।

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