लखनऊ, । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शुक्रवार को अपने सरकारी आवास पर देश के महान क्रांतिकारी वीर सावरकर पर लिखी गई पुस्तक का विमोचन किया। सावरकर ‘एक भूले बिसरे अतीत की गूंज’ (1833-1924) शीर्षक से लिखी गई पुस्तक में महान क्रांतिकारी वीर सावरकर के जीवन के कुछ अनकहे सच को सामने लाने का प्रयास है। इस पुस्तक को बेंगलुरु में रहने वाले साहित्यकार डॉ विक्रम सम्पत ने लिखा है।पुस्तक के विमोचन के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कुछ लोगों ने तो वीर सावरकर के बारे में 2004-2005 के दौरान तमाम प्रकार की अनर्गल टिप्पणी की थी। वीर सावरकर तो एक बहाना था, निशाना भारत था। इस प्रकार की टिप्पणी करने वाले लोग भारत को कहां ले जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि महान क्रांतिकारी वीर सावरकर के साथ इतिहासकारों ने कभी न्याय नहीं किया।देश के इतिहास को तोड़मरोड़ कर लिखने वाले इतिहासकारों ने सावरकर के योगदान को मिटाने का प्रयास किया है। ऐसे लोगों ने मात्र महान क्रांतिकारियोंका ही नहीं मां भारती का भी अपमान किया है। इसके बाद भी वीर सावरकर के विराट व्यक्तित्व को मिटाया नहीं जा सकता है। यही कारण है कि उनके जाने के इतने वर्षों बाद भी हम उनका स्मरण कर रहे हैं।सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज भारत जिस दृष्टि के साथ आगे बढ़ रहा है यह सब बातें वीर सावरकर ने सौ वर्ष पहले कही थीं। उस समय भी वीर सावरकर की बात को माना होता तो देश कभी विभाजित नहीं होता। वीर सावरकर को भुलाया न होता तो देश का विघटन न होता। श्याम जी कृष्ण वर्मा, सचीन्द्र नाथ सान्याल और उस समय के सभी क्रांतिकारी सावरकर के बेहद निकट थे। वीर सावरकर एक अच्छे कवि, लेखक, और स्वाधीनता आंदोलन के महान क्रांतिकारी थे। हमारे व्याकरण के बहुत सारे शब्द वीर सावरकर की देन हैं। हिन्दुत्व शब्द भी उन्ही शब्दों में से एक है। वीर सावरकर के शब्दों और उनके दिखाए मार्ग को भुलाया न जाता तो देश को आतंकवाद और अलगाववाद का सामना न करना पड़ता। ब्राम्हण कुल में जन्मने के बाद भी उन्होंने जाति भेद के खिलाफ आवाज उठायी।प्रभा खेतान फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कुछ शब्दों के माध्यम से इतिहास से खेल करने वाले इतिहास की सच्चाई नहीं मिटा सकते हैं। वीर सावरकर को एक ही जीवन मे दो-दो बार आजीवन कारावास की सजा हुई थी। ऐसे महान क्रांतिकारी के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को भुलाना असंभव है।मुख्यमंत्री ने कहा कि पितृपक्ष में देश के महान क्रांतिकारी वीर सावरकर को याद करना अति विशेष है। महान वीर सावरकर को लेकर देश मे दो प्रकार की सोच के लोग हैं। भारत माता के सच्चे सपूत को श्राद्ध में स्मरण करना पितरों को तर्पण के समान है। हमारे पूर्व दादा गुरु महंत दिग्विजय नाथ का वीर सावरकर का गहन सम्बन्ध था। वीर सावरकर के साथ साथ हम अपने पूज्य दादा गुरु को भी याद कर रहे हैं। आजाद भारत में उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को सम्मान नहीं दिया गया। इस देश के एक केन्द्रीय मंत्री ने सैल्यूलर जेल से वीर सावरकर की नाम पट्टिका को हटवाया। मैंने स्वयं सेल्ल्युलर जेल जाकर उनको दी गयी यातनाओं के बारे में जाना है।मुख्यमंत्री ने कहा कि अब देश मे एक बदलाव लाने वाली सरकार है, तो चीजें बदल रही हैं। बदलाव लाने वाली सरकार ने देश मे एक नया इतिहास बनाया है। धारा 370 न देश के हित मे थी, न देश के, इसे हटाया गया। पांच अगस्त 2020 की तिथि को अयोध्या में प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ।



