*एक मरीज को निजी अस्पताल में भर्ती कराने पर 30 से 40% तक दिया जाता है कमीशन*
*दुबग्गा बेगरिया में लखनऊ सिटी मैक्स हास्पिटल में मरीज भर्ती कराने वाले को मिलता है,40%कमीशन*
*जहां रेलवे से लेकर एयरपोर्ट तक ठेके पर चलता हो,वहां प्राइवेट निजी अस्पताल वाले भी ठेका देने से पीछे नहीं??*
*खबर दृष्टिकोण लखनऊ*
*आशीष कुमार सिंह विशेष संवाददाता*
*लखनऊ* उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक जहां स्वास्थ्य चिकित्सीय व्यवस्थाओं को लेकर दिन रात एक करके स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए बड़ी ही पारदर्शिता के साथ स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए लगे हुए हैं सरकारी अस्पतालों से लेकर निजी अस्पतालों वालों को एक ही नजर से देखने वाले स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक कहते हैं की चाहे सरकारी हो या प्राइवेट अस्पताल अगर मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ की गई और हमारे पास शिकायत पहुंची तो उस पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी मरीजों के साथ कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
वहीं दुबग्गा में सब्जी मंडी के जैसे 300 स्क्वायर फिट से 400 स्क्वायर फिट में हर एक मकान छोड़कर दूसरे मकान में कहीं बेसमेंट में तो कहीं सेकेडं फ्लोर पर तो कहीं सकरी गलियों में जहां एम्बूलेंश भी एमरजेंसी में नहीं पहुंच पाती क्योंकी रास्ते और गलियों में खुले अस्पताल में घंटो जाम लगा रहता है।
आपको बता दें विस्तृत सूत्रों से मिली जानकारी से पता चला है आज के पांच साल पहले दुबग्गा क्षेत्र में सैकड़ो की संख्या में हास्पिटल खुले थे लेकिन आज वह संख्या हजारों में हो गई है तो ऐसे मे मरीजों को भर्ती करने में अस्पताल वालों में होड़ लगी हुई हैं। क्योंकि यह अस्पताल वाले हास्पिटल के बाहर बोर्ड में बड़े बड़े डाक्टरों के नाम के साथ ही सुविधाएं भी लिख रखी हैं जैसे विशेष सुविधायें ओ० पी०डी०,
पेट के समस्त रोग, बाल एवं शिशु रोग, जनरल सर्जरी,पथरी का ऑपरेशन,स्त्री एवं प्रसूति रोग,
नार्मल डिलीवरी,आई.सी.यू., माईग्रेन व अधकपारी,सिजेरियन डिलीवरी,एन.आई.सी.यू.,लकवा रोग,लैप्रोस्कोपिक सर्जरी,वार्मर की सुविधा,मिर्गी या दौरा की बीमारी,यूरो सर्जरी,नाक, कान, गला रोग,गुप्त रोग का इलाज,
चर्म रोग का इलाज,हड्डी रोग का इलाज,डायलिसिस की सुविधा,
24 घंटे इमरजेन्सी सुविधा,फ्री एम्बुलेंस सुविधा उपलब्ध यह व्यवस्थाएं आप को लगभग हर अस्पताल में लिखी देखनें को मिल जाएंगी। लेकिन अफसोस है सिर्फ बोर्ड व विजटिंग कार्डो पर ही यह सुविधाएं लिखी आपको मिलेगी क्योंकी डाक्टर तो अस्पताल में हैं नहीं, अस्पताल तो किसी एमबीबीएस डाक्टर की डिग्री पर खुल गया है लेकिन वह तो कहीं नौकरी कर रहा होता है क्योकि यह लोग ज्यादातर नान मेडिको हैं और अगर मरीज भर्ती के समय आपको वहां पर बैठा जो डाक्टर होगा वह या तो बीएएमएस,बीएचयू ही ज्यादातर मिलेंगे वह मरीज तो भर्ती कर लेंगे रोग कोई भी हो लगभग सारी जांच लिखकर जब तक जांच रिपोर्ट आती है तब तक नॉर्मल मेडिसिन देकर इलाज शुरू हो जाता है फिर रिपोर्ट आने के बाद ऑन कॉल डॉक्टर बुलाया जाता है डॉक्टर की दो गुना फीस होती है जो की प्राइवेट अस्पताल में बड़े ही आसानी से मरीज के द्वारा फीस का भुगतान कर दिया जाता है। अब इस तरीके की व्यवस्थाओं को लेकर प्राइवेट अस्पतालों ने एक नई स्कीम स्टार्ट की है हमारे अस्पताल में जो भी मरीज लेकर आएगा उसको 40 परसेंट तक कमीशन दिया जाएगा।
*दुबग्गा के बेगरिया में लखनऊ सिटी मैक्स हॉस्पिटल का एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है*
अभी एक सप्ताह पहले जनपद हरदोई का मरीज रिषभ जो की 5 साल का बच्चा था जिसको गम्मू पंडित ने भर्ती कराया था जहां पर डाक्टरों ने 4000 रुपये की जांचे कराई और 15000 रुपये ब्लड चढ़ाने के नाम पर जमा करा लिया फिर उसके बाद में आईसीयू और मेडिसिन इंजेक्शन का जो भी खर्च आएगा वह सब अस्पताल का होगा तीमारदारों को यह बताकर 7000 रुपये प्रतिदिन का खर्च बताकर गम्मू पंडित ने ठेका ले लिया तीमारदार इस पर राजी हो गए जिस पर अस्पताल वाले मरीज को भर्ती कर सात दिनों तक भर्ती रक्खा और करीब 55000 का खर्च बताया छुट्टी के समय जिस पर गम्मू पंडित नें पांच हजार रुपये का डिस्काउंट कर दिया। अब यह हाल है प्राइवेट अस्पतालों का जो की ग्रामीण क्षेत्र से आई हुई भोली भाली जनता को बड़ी ही आसानी से जांचों और दवाइयां व ब्लड की कमी बताकर डाका डालने का काम बाखूबी से चल रहा है।
अब देखने वाली बात यह होगी की सीएमओ आफिस में बैठे हुए जिम्मेदार उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी अखंड प्रताप सिंह जो कि अभी कई समाचार पत्रों नें प्राइवेट अस्पतालों की स्टोरी लगातार प्रकाशित की थी जिस पर सीएमओ ऑफिस के द्वारा किसी भी अस्पताल वाले को ना ही जांच की गई और ना ही कोई नोटिस दी गई लेकिन हां हाल ही में उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी अखंड प्रताप सिंह ने अपने एक चहेते यूट्यूब पोर्टल चैनल पर पहले तो सभी अस्पतालों के डॉक्टर का वर्जन कवरेज कराया फिर उसके बाद में स्वयं इस न्यूज़ पोर्टल चैनल पर बाइट देते हुए कह रहे हैं कि यह खबरें जो भी प्रकाशित हो रही हैं इनका सूचना में कोई सरकुलेशन नहीं है और ना ही यह लोग रजिस्टर्ड हैं यह सिर्फ अफवाहें फैलाई जा रही हैं चिकित्सा विभाग हर तरीके के अस्पतालों पर नजर गड़ाए हुए बैठा है कहीं पर भी कोई समस्या व शिकायत नहीं मिली है जब कोई शिकायत मिलेगी तो उसे पर कार्यवाही की जाएगी।
अब देखने वाली बात यह होगी की उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक जी के द्वारा इस तरीके के स्वास्थ्य विभाग में बैठे जिम्मेदार ऑफीसरों की किस तरीके से गोपनीय जांच करा कर कार्यवाही कराएंगे अगर इनकी जांच नहीं हुई तो इनके हौसले और भी बुलंद होते जाएंगे जो कि भविष्य में स्वास्थ्य मंत्रालय पर एक बहुत बड़ा कलंक साबित होगा इस खबर को प्रकाशन करने के बाद स्वास्थ्य मंत्री जी का क्या एक्शन रहेगा या तो आने वाला वक्त ही बताएगा।