सलेमपुर मे अज़ादारों द्वारा दस्वीं मोहर्रम ( यौमे आशूरा) का जुलूस बड़े ही अकीदत के साथ निकाला गया इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मोहर्रम पहला महीना है जिसकी दसवी तारीख को यौमे आशूरा मनाया जाता है इसको गमी का महीना भी कहा जाता है क्योंकि उम्मत ए मुहम्मदिया के पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद(स अ व)साहब के नवासे हज़रत इमाम हुसैन रजि. की शहादत यौम ए आशूरा के दिन मैदान ए करबला में हुई थी हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में तुर्बत और साथ में शहीद हुए 71 सहाबाओ की याद में ताज़िये निकाले जाते हैं ढोल ताशों के साथ मरसिया और नोहा पढ़ते हुए या हुसैन , या अब्बास या अली की सदाएं बुलंद की और इमाम हुसैन के 6 माह के बेटे अली असगर की शहादत को याद कर के अज़ादार खूब रोये और गम में मातम भी किया जुलूस मे भारी तादात मे अज़ादारों ने शिरकत की। ग्राम गंगागंज, सलेमपुर, तथा नई बस्ती के अज़ादार जुलूस में शामिल हुए जुलूस के रास्ते में नदीम भाई, इकराम भाई, फुरकान राईन, दिनेश यादव, अंडरटेकर आदि लोगों ने सबील का इंतजाम भी किया
जुलूस पुलिस बल की मौजूदगी में गंगागंज से शुरु हो कर सलेमपुर रोड नई बस्ती होते हुए राजा साहब की कोठी पहुंचा फिर वहां से सलेमपुर रोड होते हुए करबला पहुंचा जहां अजादारों ने आखरी रसूम अदा की, फातिहा के बाद सभी अजादारों को मोहर्रम का पारम्परिक भोजन (खिचड़ा) वितरित किया गया।