खबर दृष्टिकोण
महमूदाबाद/सीतापुर। नगर सहित तहसील क्षेत्र के बांसुरा, सदरपुर आदि कस्बों में मोहर्रम की सातवीं का जुलूस शांतिपूर्वक अपनी शाही साजो-सज्जा के साथ निकाला गया।
आपको बता दें कि शोहदाये इस्लाम और मुसलमानो के आखरी नबी मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हसन और इमाम हुसैन करबला के मैदान में इस्लाम को बचाने के लिए इसी माह ए मोहर्रम में यजीदी फौज से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। उन्ही की शहादत को याद करते हुए दुनिया भर के मुसलमान इस महीने में गम का इजहार करते हैं।और मोहर्रम की एक तारीख से 10 तारीख तक अपने घरों में एशाल ए सवाब के लिए मजलिस और नोहा ख्वानी करते हैं।
इस्लामिक गाथाओं के मुताबिक इस्लाम धर्म के संथापक मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और याजीदी फौज से इराक के करबला में जंग हुई थी,इसी जंग में हजरत इमाम हुसैन अपने परिवार के 72 लोगों जिनमें बूढ़े,बच्चे,जवान,महिलाएं, सब शामिल थे,जो अपने नाना जान मोहम्मद साहब के दीन इस्लाम को बचाने के लिए लाखों की तादाद में मौजूद यजीदी लश्कर से जंग लड़ते हुए शहीद हो गए थे।उसी की याद में इस दौर में उनके मानने वाले लोग पूरी अकीदत के साथ मोहर्रम का पर्व मनाते हैं, जिसमे जुलूसों के अलावा आजादरी के साथ साथ ताजियेदारी,मातम कर लोग अपने गम का इजहार करते हैं।
इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए महमूदाबाद नगर के खुदागंज मोहल्ले से, बांसुरा गांव स्थित स्वर्गीय मुन्ना मियां के इमामबाड़े से और कस्बा सदरपुर के किले से रविवार को मोहर्रम की सातवीं का जुलूस निकाला गया। लोगों ने अपने हाथों में अलम लेकर नोहा ख्वानी करते हुए अपने कदीमी रास्तों से निकले। रास्ते में किसी का कोई अवरोध न हो जिसके लिए सभी जगह पुलिस प्रशासन मौजूद रहा। हजरत इमाम हुसैन को मानने वालों ने पुलाव,मलीदा,शराबत खीर सहित तमाम चीज तबर्रुक के रूप में बांटी।