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मानव एवं मृदा स्वास्थ्य के लिए पीएम प्रणाम है जरूरी

 

वैकल्पिक उर्वरकों का प्रयोग करें किसान- सूर्य प्रताप शाही,कृषि मंत्री,उ0प्र0 सरकार

 

ख़बर दृष्टिकोण लखनऊ।

 

 

केन्द्रीय मंत्री स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण एवं रसायन तथा उर्वरक, भारत सरकार द्वारा आज वीडियो कान्फ्रेसिंग के द्वारा सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के कृषि मंत्रियों के साथ उर्वरकों की उपलब्धता के बारे में समीक्षा बैठक की गई। केन्द्रीय मंत्री ने नैनो यूरिया, नैनो डी0ए0पी0 के प्रचार-प्रसार तथा कृषि ड्रोन के माध्यम से इसका प्रयोग कराने के लिए सभी से अनुरोध किया। साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केन्द्रों को किसानों से सम्वाद का माध्यम के रूप में उपयोग किया जाए, किसानों को प्रशिक्षित किया जाए। रासायनिक उर्वरकों से हो रहे नुकसान के बारे में अवगत कराया जाए। यूरिया एवं डी0ए0पी0 के स्थान पर एन0पी0के0 का उपयोग ज्यादा से ज्यादा किए जाने हेतु जागरूक किया जाए। साथ ही यूरिया के डायवर्जन, स्मग्लिंग, ब्लैकमार्केटिंग इत्यादि पर राज्य सरकार से प्रभावी कार्यवाही हेतु कहा।

भारत सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश को विगत खरीफ के सापेक्ष इस वर्ष 3.11 लाख मै0टन अधिक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित कराई गई है जिसके लिए कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही द्वारा भारत सरकार के केन्द्रीय मंत्री को धन्यवाद ज्ञापित किया गया तथा अवगत कराया गया कि खरीफ फसलों की बुवाई एवं धान की रोपाई के उपरान्त टाप ड्रेसिंग हेतु उर्वरक की एक साथ मांग कृषकों के मध्य हो रही है। वर्तमान में प्रतिदिन 35500 मै0टन उर्वरक की बिक्री हो रही है तथा 10.40 लाख मै0टन यूरिया की उपलब्धता है। माह अगस्त के लक्ष्य के अनुसार अवशेष 5.30 लाख मै0टन यूरिया की आपूर्ति हेतु भारत सरकार से अनुरोध किया गया है। यूरिया उर्वरक के डायवर्जन, स्मग्लिंग एवं ब्लैकमार्केटिंग को रोकने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सीमावर्ती (नेपाल बॉर्डर) के सभी 07 जनपदों के कृषि, पुलिस तथा प्रशासनिक दल की टीम गठित कर सतत् निगरानी की कार्यवाही की जा रही है। जनपद में 03 प्रकरणों को संज्ञान में लेकर तीनों के विरूद्ध एफ0आई0आर0 दर्ज कराई गई है। गैर कृषि क्षेत्र में यूरिया उर्वरक के डायवर्जन की प्रभावी कार्यवाही हेतु औद्योगिक ईकाईयों पर आकस्मिक छापे डाले जा रहे हैं। टेक्निकल ग्रेड यूरिया के 100 नमूने ग्रहित किए गए हैं। परिणाम के आधार पर 15 औद्योगिक इकाईयों के विरूद्ध अनुदानित यूरिया उर्वरक पाए जाने पर उर्वरक (अकार्बनिक, कार्बनिक या मिश्रित) (नियंत्रण) आदेश, 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम,1955 के संसुगत प्राविधानान्तर्गत एफ0आई0आर0 दर्ज कराई गई है।

भारत सरकार से अनुरोध किया गया कि टेक्निकल ग्रेड यूरिया के आपूर्तिकर्ताओं की सूची, गोदामों एवं उनके मूवमेन्ट की जानकारी भी यदि समय-समय पर करा दिया जाए तो नीम कोटेड यूरिया की मिलावट करने वाले आपूर्तिकर्ताओं पर कार्यवाही करने में आसानी होगी। प्रदेश के कृषकों को यूरिया उपलब्ध कराए जाने हेतु अब तक कुल 14581 आकस्मिक छापे डाले गए हैं। 3781 उर्वरक के नमूने ग्रहित किए गए हैं। 223 उर्वरक प्राधिकार पत्र निलम्बित किए गए तथा 09 दोषियों के विरूद्ध एफ0आई0आर0 दर्ज कराई गई है। इसी प्रकार यूरिया टाप 20 बायर्स का नियमित सत्यापन करते हुए 20 प्रकरणों में 163 उर्वरक प्राधिकार पत्र निलम्बित/निरस्त किए गए। रासायनिक उर्वरक एवं रासायनिक कीटनाशकों की वजह से जहॉ मिट्टी का स्वास्थ्य खराब हो रहा है, फसलों की उत्पादकता में भी ठहराव आ गया है वहीं दूसरी ओर मानव के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

मानव एवं मिट्टी के स्वास्थ्य को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश सरकार रासायनिक उर्वरकों की खपत को कम करने के लिए प्रयास कर रही है क्योंकि रासायनिक उर्वरकों एवं रासायनिक तत्वों के इस्तेमाल होने से जहॉ एक तरफ मिट्टी का स्वास्थ्य खराब हो रहा है वहीं मानव स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। कैंसर जैसी बीमारियॉ हो रही है। प्रदेश में पी0एम0 प्रणाम योजना के अन्तर्गत यूरिया, डी0ए0पी0, एन0पी0के0, एम0ओ0पी0 की खपत आगामी 03 वर्षो में 2.6 प्रतिशत की कमी की कार्ययोजना बनाई गई है। प्रदेश में उर्वरक के संतुलित मात्रा में प्रयोग, यूरिया के वैकल्पिक उर्वरक जैसे-नैनो यूरिया, सल्फर कोटेड यूरिया, प्राकृतिक खेती, जैव उर्वरक इत्यादि के बारे में कुल 34000 ग्राम स्तरीय कृषि गोष्ठी/किसान पाठशालाओं के माध्यम से किसानों को जागरूक करने का कार्य कराया गया। कुल 7.08 लाख बोतल नैनो यूरिया तथा 3.63 लाख बोतल नैनो डी0ए0पी0 की बिक्री हुई।

कृषि विभाग के द्वारा आयोजित विभिन्न गोष्ठियों में किसानों को वैकल्पिक उर्वरकों के प्रयोग करने हेतु जागरूक किया जा रहा है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजनार्न्गत 1-1 एकड़ क्षेत्रफल में नैनो यूरिया का प्रयोग कराया जा रहा है। प्रदेश के 2.14 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्राकृतिक खेती के कार्यक्रम कराए जा रहे हैं। 20 हजार कुन्तल ढ़ैचा के बीज कृषकों को हरी खाद के प्रयोग हेतु उपलब्ध कराया गया है, आगामी वर्ष में 30 हजार कुन्तल ढैंचा के बीज किसानों को उपलब्ध कराया जायेगा।

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