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अन्तर्राष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी राहुल चौधरी को गोवंश संवर्द्धन एवं डेयरी विकास का ब्राण्ड एम्बेसडर बनाया गया

प्रदेश में 220 दुग्ध समितियों का गठन किया गया धर्मपाल सिंह

उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह ने आज यहां योजना भवन में विभागीय उपलब्धियों के संबंध में प्रेस प्रतिनिधियों को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश को आगामी 05 वर्षाे में ट्रिलियन डालर इकोनॉमी बनाये जाने हेतु प्रदेश सरकार संकल्पित है। किसानोन्मुख योजनाओं से न सिर्फ पशुओं के संरक्षण एवं सम्वर्धन में आशातीत वृद्धि हुई है अपितु पशुपालकों की आय दोगुनी करने के संकल्प को गति मिली है।

पशुधन मंत्री ने कहा कि विभाग द्वारा वर्तमान वित्तीय वर्ष में लघु पशु योजनान्तर्गत 05 नवीन योजनाओं का प्रारम्भ किया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत उत्तराखण्ड से उन्नत किस्म के मेढ़े खरीद के भेड़ पालकों को निःशुल्क उपलब्ध कराये जायेगे। भेड़ पालन को बढ़ावा दिये जाने हेतु भेड़ बहुल क्षेत्रों में 20 भेड़ों एवं 01 मेढ़े की रू0 1.70 लाख की योजना संचालित की जा रही है, जिसमें लाभार्थी का अंश मात्र 10 प्रतिशत है। बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से नस्ल सुधार की योजना है। उक्त के अतिरिक्त इटावा में स्थापित भेड़ एवं बकरी पालन प्रशिक्षण केन्द्र को संचालित करते हुए भेड़ बकरी पालन हेतु प्रशिक्षण प्रदान किये जाने की योजना है। भेड़ एवं बकरी पालन की उपर्युक्त योजनाओं के संचालन से घुमंतु जातियों (Nomad) एवं चरवाहों (Pastoral) को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकेंगे। लाइव स्टाक मिशन के अन्तर्गत बकरी पालन, सुकर पालन की 19 परियोजनाएं स्वीकृत की जा चुकी है।

धर्मपाल सिंह ने बताया कि नस्ल सुधार के अन्तर्गत सरकार द्वारा प्रदेश के समस्त पशुधन एवं कृषि प्रक्षेत्रों पर 11 सीमन वितरण केन्द्र स्थापित किये जा रहे हैं, जहाँ से पशुपालकों को उन्नति नस्ल का सीमेन प्राप्त हो सकेगा। पशुधन उत्थान वर्ण संकर केन्द्र, बरेली का संचालन प्रारम्भ कर दिया गया है। रहमानखेड़ा, लखनऊ में रूपये 44 करोड़ की लागत से सेक्स शार्टेड सीमेन लैब की स्थापना की जा रही है। प्रदेश में सेक्स शार्टेड सीमेन की दर रू0 300 से घटाकर रू0 100 कर दी गयी है जिसका प्रत्यक्ष लाभ पशुपालकों को मिलेगा एवं मादा गोवंश की उत्पत्ति बढ़ेगी। राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजनान्तर्गत नस्ल सवंर्धन हेतु रूपये 4 करोड़ प्रति परियोजना की दर से 4 परियोजनाएं स्वीकृत की गयी है। जिनमें 50 प्रतिशत की दर प्रति परियोजना रूपये 2 करोड़ का अनुदान निहित है।

पशुधन मंत्री ने बताया कि प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों को यह निर्देश दिये गये हैं कि चारागाह की भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराते हुए चारागाह की भूमि पर मनरेगा एवं अन्य सी०एस०आर० मद का उपयोग करते हुए बहुवर्षीय हरा चारा (नैपियर घास आदि) का उत्पादन किया जाय। इस हेतु 11 जुलाई से 25 अगस्त तक 45 दिन का विशेष अभियान प्रारम्भ किया गया है। उन्होंने सभी गोशालाओं में वृक्षारोपण करने की अपील भी की।

श्री धर्मपाल ने बताया कि प्रदेश के समस्त 75 जनपदों में विभाग द्वारा 520 मोबाइल वेटनरी यूनिट का संचालन किया जा रहा है। योजनान्तर्गत 05 पैकेजों के 05 काल सेन्टरों के माध्यम से टोल फ्री नं० 1962 द्वारा पशुपालकों के द्वार पर 29558 पशुओं को आकस्मिक पशु चिकित्सा सेवायें तथा 57928 पशुओं को टेलीमेडिसिन द्वारा पशु चिकित्सा सेवायें प्रदान करते हुए कुल 42116 पशुपालकों को लाभान्वित किया गया है। साथ ही निर्धारित रूटों पर चलने वाली मोबाइल वेटनरी यूनिटों द्वारा कुल 56800 ग्राम सभाओं को आच्छादित करते हुए 43814 शिविरों का आयोजन कर कुल 218259 पशुओं का उपचार किया गया है।

पशुधन मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा प्रदेश में जनमानस के लिये प्रोटीनयुक्त आहार हेतु अण्डे की उपलब्धता सुनिश्चित कराने एवं प्रदेश को 05 वर्षाे में अण्डा उत्पादन में आत्मनिर्भर/निर्यातोन्मुखी बनाये जाने के उद्देश्य से उ०प्र० कुक्कुट विकास नीति-2022 निर्गत की गयी है। इनवेस्ट यू०पी० के अन्तर्गत अब तक कुल 3012 एम0ओ0यू0 हस्ताक्षरित किये गये है जिनमें से 182 एम0ओ0यू0 इनवेस्ट पोर्टल पर अपलोड किये गये है, 18 प्रोजेक्ट स्वीकृत हो गये है और 09 प्रोजेक्ट की (एल०ओ०आई०) जारी हो चुकी है।

धर्मपाल सिंह ने कहा कि अब तक प्रदेश में 6781 गो-आश्रय स्थलों में कुल 1168875 गोवंश संरक्षित किये गये हैं। विगत 03 माह में कुल 68 नवीन गो आश्रय स्थलों में 37497 गोवंश संरक्षित किये गये हैं। इस वर्ष कुल 60 लाख टन भूसा संग्रहण किया गया है जिसमें 07 लाख टन भूसा दान के माध्यम से प्राप्त हुआ है। अग्रिम तीन माह में समस्त निराश्रित गोवंश के लिए शेड, उनके भरण-पोषण की व्यवस्था सुनिश्चित कराने के उद्येश्य से शासन स्तर से प्रदेश के समस्त 18 मण्डलों में नोडल अधिकारी भेजे जा रहे हैं जो शत-प्रतिशत निराश्रित गोवंश का संरक्षण सुनिश्चित करायेंगे। गो संरक्षण केन्द्रों के निर्माण की लागत को बढ़ाते हुए रू० 01 करोड़ 20 लाख के स्थान पर रू0 01 करोड़ 60 लाख किया गया है। निराश्रित गोवंश के भरण-पोषण एवं सहभागिता योजनान्तर्गत धनराशि का आवंटन डी०बी०टी० के माध्यम से सीधे गो आश्रय स्थलों एवं सहभागी के खाते में किये जाने की कार्यवाही की जा रही है। गो-आश्रय पोर्टल के माध्यम से उपयोगिता प्रमाण-पत्र प्राप्त किये जा रहे है और आनलाइन अनुश्रवण किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि राहुल चौधरी, अन्तर्राष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी को गोवंश सवंर्धन एवं डेयरी विकास का ब्राण्ड एम्बेसडर नामित किया गया है। चौधरी द्वारा यह अपील की जाएगी कि पशुपालकों द्वारा गोवंश को छुट्टा न छोड़ा जाए, जिससे निराश्रित गोवंश की संख्या में कमी आएगी, इसके साथ ही गो दुग्ध उत्पादों की ग्राहयता बढ़ेगी और उसका समुचित मूल्य प्राप्त होगा जिससे गोपालन का रूझान बढ़ेगा।

सिंह ने बताया कि पशुचिकित्सा अधिकारियों एवं कर्मचारियों की शत-प्रतिशत समयबद्धता के साथ अपने कार्यालयों में उपस्थिति सुनिश्चित किये जाने हेतु मोबाइल एप आधारित दैनिक उपस्थिति प्रणाली का प्रारम्भ किया गया है। इस प्रणाली के अन्तर्गत कार्मिक की उपस्थिति कार्यालय के 100 मीटर की परिधि में ही दर्ज हो सकेगी।

पशुधन मंत्री ने बताया कि वर्तमान में गलाघोंटू का टीकाकरण पशुपालकों के द्वार पर निःशुल्क किया जा रहा है एवं इस बीमारी से बचाव हेतु सघन टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है, जिसका लक्ष्य 418 लाख रखा गया है, जिसके सापेक्ष 324 लाख टीकों का वितरण किया गया है एवं लगभग 171 लाख पशुओं में टीकाकरण हो चुका है। प्रदेश में टीकाकरण अभियान के अंतर्गत 15 अगस्त, 2023 तक 07 लाख टीका प्रतिदिन की दर से टीकाकरण कर लक्ष्य की पूर्ति की जाएगी।

धर्मपाल सिंह ने बताया कि प्रदेश को नन्द बाबा दुग्ध मिशन के द्वारा दुग्ध उत्पादन में अग्रणी राज्य बनाये रखने के लिए गॉवों में दुग्ध सहकारी समितियों द्वारा दुग्ध उत्पादकों को उनके गॉवों में ही दूध के उचित मूल्य पर बिक्रय की सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के दुग्ध उत्पाद को बढ़ाने के लिए 220 दुग्ध समितियों के गठन एवं 450 दुग्ध समितियों के पुनर्गठन के लक्ष्य के सापेक्ष 220 समितियों का गठन एवं 100 समितियों का पुनर्गठन किया जा चुका है।

ई-कामर्स पोर्टल के तहत विपणन कार्यों को सुदृढ़ता प्रदान करने हेतु पीसीडीएफ द्वारा ई-कामर्स पोर्टल को प्रारम्भ किया गया, जिसके माध्यम से उपभोक्ताओं के आनलाईन आर्डर पर पराग दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थ को उनके घर पर ही आपूर्ति की जा रही है। पोर्टल के माध्यम से एक वर्ष में लगभग 76634 उपभोक्ता, 193 महिला स्वयं सहायता समूह तथा 220 पराग मित्रों को जोड़ा जा चुका है। ई-कामर्स पोर्टल के माध्यम से लगभग रू0 800 लाख का व्यवसाय किया जा चुका है।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव पशुधन एवं दुग्ध विकास डा0 रजनीश दुबे, दुग्ध आयुक्त शशिभूषण लाल सुशील, पीसीडीएफ के प्रबंध निदेशक कुणाल सिल्कू, विशेष सचिव पशुधन देवेन्द्र पाण्डेय, शिव सहाय न अवस्थी तथा निदेशक डा0 इन्द्रमणि तथा श्रीमती नीलम बाला उपस्थित थे।

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