बसपा सुप्रीमो मायावती ने देश में समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के खिलाफ नहीं है पर देश की विविधता को देखते हुए इसे जबरन थोपे जाने के पक्ष में नहीं है। इसमें आपसी सहमति का रास्ता अपनाया जाना चाहिए और इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।
मायावती ने कहा कि भारत की विशाल आबादी में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्घ और पारसी सहित विभिन्न धर्मों के मानने वाले लोग रहते हैं, जिनके अलग-अलग रस्म और रिवाज हैं, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अगर देश में सभी के लिए एक जैसा कानून लागू होगा तो इससे देश कमजोर नहीं, बल्कि मजबूत होगा और आपसी सौहार्द बढ़ेगा इसीलिए संविधान में समान नागरिक संहिता का जिक्र किया गया है, लेकिन उसे जबरन थोपने का प्रावधान संविधान में निहित नहीं है। इसके लिए जागरूकता व आम सहमति का रास्ता अपनाया जाना चाहिए।
#WATCH | On the Uniform Civil Code, BSP national president Mayawati, says "Our party (BSP) is not against the implementation of UCC but we do not support the way BJP is trying to implement Uniform Civil Code in the country. It is not right to politicise this issue and forcefully… pic.twitter.com/PzVXgVEneG
— ANI (@ANI) July 2, 2023
मायावती ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता की आड़ में संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति करना सही नहीं है जो इस समय की जा रही है। बसपा यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के खिलाफ नहीं है, बल्कि जिस तरह से भाजपा इसे लागू करना चाहती है उससे हम सहमत नहीं हैं।